बिहार में मौसम की मार के आगे अन्नदाता लाचार हैं. बारिश ना होने से धान की रोपाई नहीं हो पा रही है. लखीसराय में तो किसानों की बदहाली ऐसी है कि किसान पंप सेट से धान की रोपनी के लिए खेत पटा रहे हैं. बावजूद खेतों में इतना पानी नहीं है कि रोपाई हो सके, लेकिन लाचार किसानों के पास रोपाई के अलावा कोई चारा नहीं है. अगर वो अभी धान रोपनी नहीं करते तो बिचड़ा भी खराब हो जाएगा. जिले में इस बार 40 हजार हेक्टेयर जमीन पर धान की खेती का लक्ष्य है. जिसमें से अभी तक सिर्फ 6.25 प्रतिशत जमीन पर ही धान की रोपनी हुई है.
प्रखंडवार आंकड़ों पर नजर डालें तो
सदर प्रखंड में 18 प्रतिशत
बड़हिया में 6 प्रतिशत
हलसी में 4.5 प्रतिशत
रामगढ़ में 3.5 प्रतिशत
सूर्यगढ़ा में 3 प्रतिशत
चानन में 1 प्रतिशत
धान की रोपाई पर छाया संकट
वहीं, सबसे कम 0.6 प्रतिशत रोपाई पिपरिया प्रखंड में हो पाई है. बारिश ना होने के चलते किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. किसानों की मानें तो अगर समय से बारिश होती तो धान के बीज, खाद और मजदूरी में ही खर्चा होता, लेकिन बारिश ना होने से धान के बिचड़े को तैयार करने से लेकर बुआई तक में डिजल पम्प सेट से पानी देना पड़ रहा है. यानी किसानों को सीधे दोगुना खर्च करना पड़ रहा है. उसपर भी किसानों को फसल खराब होने का डर सताने लगा है क्योंकि कहीं-कहीं धान की फसल पीली पड़ गई है.
बिहार में मौसम की मार
सिंचाई के बाद भी फसल तैयार हो पाएंगे या नहीं इसका कोई पता नहीं. हालांकि जिला पदाधिकारी अमरेंद्र कुमार का कहना है कि विभाग सुखाड़ से निपटने के लिए कमर कस चुका है और वैसे किसान जो डिजल पंप सेट के जरिए धान की रोपाई कर रहे हैं. उनके लिए कम कीमत पर डीजल मुहैया कराई जा रही है. साथ ही किसानों को विभाग की ओर से जागरूक भी किया जा रहा है. ताकि किसान फसल को सुरक्षित रख सकें.
बारिश का इंतजार
सम्भावित सुखाड़ के हालातों से निपटने के लिए भले ही विभाग अलर्ट हो, लेकिन सवाल यह है कि विभाग की पहल का फायदा कितने किसानों तक पहुंच रहा है. जरूरत है कि अधिकारी गांव-गांव दौरा कर किसानों की सुध ले. ताकि मौसम की मार से अन्नदाता को बचाया जा सके.
HIGHLIGHTS
- बिहार में मौसम की मार
- धान की रोपाई पर छाया संकट
- बारिश का इंतजार
Source : News State Bihar Jharkhand