भारत नेपाल सीमा पर स्थित वाल्मीकीनगर के पिपराकुट्टी मोड़ पर मंगलवार को एक दुर्लभ प्रजाति का कछुआ देखने को मिला. इस कछुआ का वैज्ञानिक नाम निलसोनिया हरम या गंगेटिक बताया जा रहा है. इसको इंडियन सॉफ्टशेल टर्टल या फ़िर इंडियन पीकॉक सॉफ्टशेल टर्टल कहा जाता है.
यह प्रायः यह कछुआ एक खेत में पाया गया, जिसे देखकर ग्रामीणों ने उसे पकड़कर सीमेंट की बोरी में बांध दिया और तुरंत वन विभाग को सूचना दी.आशंका है कि नेपाल से बाढ़ छोड़े गए पानी में बहकर यह गंडक नदी में पहुंचा होगा और फिर वहां से रिहायशी इलाके में आ गया होगा.
देखने वालों की जुट गई भीड़
बता दें कि इस कछुए को देखने के लिए लोगों की भीड़ लग गई. यह कछुआ एक खेत में पाया गया, जिसे देखकर ग्रामीणों ने उसे पकड़कर सीमेंट की बोरी में बांध दिया और तुरंत वन विभाग को सूचना दी. वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (WTI) फील्ड असिस्टेंट सुनील कुमार और फॉरेस्ट गार्ड शशि रंजन कुमार तथा मनीष कुमार शामिल सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे. इन लोगों ने कछुए का सफलतापूर्वक रेस्क्यू किया और उसे गंडक नदी में सुरक्षित रूप से छोड़ दिया.
WTF के प्रोजेक्ट हेड ने कही ये बात
वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के प्रोजेक्ट हेड सह मैनेजर सुब्रत के. बेहरा ने जानकारी दी कि यह कछुआ सॉफ्ट-शेल प्रजाति का है, और उसकी प्रजाति की सटीक पहचान के लिए जांच की जा रही है.उन्होंने बताया कि यह कछुआ शायद नदी के पास बहकर आया होगा और खेतों में फंस गया होगा. हालांकि, सटीक पहचान के लिए अभी जांच की जा रही है.