असंतुष्ट नेताओं के खुले पत्र के कई हफ्तों बाद आहूत कांग्रेस की बैठक शुरू होने से पहले ही घमासान में तब्दील हो गई. बिहार में विपक्षी महागठबंधन का नेतृत्व कर रहे राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने न सिर्फ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी के बारे में निर्णय लेते वक्त पुत्र मोह को त्यागने की अपील की है, बल्कि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव से पहले ही रणदीप सिंह सुरजेवाला के ट्वीट को लेकर भी असंतोष जाहिर किया है. सुरजेवाला ने शुक्रवार को कहा था कि 99 फीसदी से अधिक कांग्रेसी राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने के पक्षधर हैं.
सुरजेवाला पर हमला
रणदीप सिंह सुरजेवाला ने शुक्रवार को संकेत दिए थे कि 99.9 फीसदी लोग चाहते हैं कि राहुल गांधी को ही पार्टी का अध्यक्ष चुना जाए. इस पर कटाक्ष करते हुए बिहार के कद्दावरनेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि पार्टी के लोकतांत्रिक संविधान के तहत पार्टी अध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव से पहले इस तरह के आंकड़े प्रस्तुत करना कतई सही नहीं है. साथ ही यह पार्टी की लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ भी है. इससे पार्टी की लोकतांत्रिक व्यवस्था ही कठघरे में खड़ी होती है.
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राहुल गांधी पर कटाक्ष
राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद ने कहा, 'कांग्रेस पार्टी की बैठक होने जा रही है. पता नहीं उस बैठक का नतीजा क्या निकलेगा, लेकिन यह स्पष्ट है कि कांग्रेस की हालत बिना पतवार के नाव की तरह हो गई है, कोई इसका खेवनहार नहीं है. यह स्पष्ट हो चुका है कि राहुल गांधी में लोगों को उत्साहित करने की क्षमता नहीं है. जनता की बात तो छोड़ दीजिए, उनकी पार्टी के लोगों का ही भरोसा उन पर नहीं है इसलिए लोग कांग्रेस पार्टी से मुंह मोड़ रहे हैं.'
सोनिया गांधी की तारीफ
शिवानंद ने कहा, 'खराब स्वास्थ्य के बावजूद सोनिया जी अध्यक्ष के रूप में किसी तरह पार्टी को खींच रही हैं. मैं उनकी इज्जत करता हूं. मुझे याद है सीताराम केसरी के जमाने में पार्टी किस तरह डूबती जा रही थी, वैसी हालत में उन्होंने कांग्रेस पार्टी की कमान संभाली थी और पार्टी को सत्ता में पहुंचा दिया था हालांकि उनके विदेशी मूल को लेकर काफी बवाल हुआ था.
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कांग्रेस पर बड़ा हमला
उन्होंने संकेतों में कहा कि भाजपा की बात छोड़ दीजिए, कांग्रेस पार्टी में भी उनके नेतृत्व को लेकर गंभीर संदेह व्यक्त किया गया था.' उन्होंने कहा, 'आज सोनिया जी के सामने एक यक्ष प्रश्न है-पार्टी या पुत्र या यूं कहिए कि पुत्र या लोकतंत्र. कांग्रेस पार्टी की महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है. मैं नहीं जानता हूं कि मेरी बात उन तक पहुंचेगी या नहीं लेकिन देश के समक्ष जिस तरह का संकट मुझे दिखाई दे रहा है वही मुझे अपनी बात उनके सामने रखने के लिए मजबूर कर रहा है.'
पार्टी नेतृत्व संकट से जूझ रहा
लोकसभा चुनाव में हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अध्यक्ष पद से राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद से ही पार्टी नेतृत्व संकट से जूझ रही है. सोनिया गांधी फिलहाल अंतरिम अध्यक्ष तो हैं, लेकिन अस्वस्थता की वजह से चाहकर भी ज्यादा सक्रिय नहीं रह पा रहीं. पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग को लेकर कई बड़े नेता अपनी आवाज बुलंद कर चुके हैं. माना जा रहा है कि इस बैठक में कांग्रेस के नए प्रमुख को लेकर फैसला हो सकता है. इसके लिए सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष पद छोड़ने का ऐलान कर सकती हैं.
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गांधी परिवार से बाहर का हो अध्यक्ष
पिछले साल कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद राहुल ने कहा था कि वह चाहते हैं कि गांधी परिवार से बाहर का कोई नेता अध्यक्ष चुना जाए. तब मुकुल वासनिक, मीरा कुमार जैसे कुछ नेताओं के नाम की चर्चा भी रही थी. अब अगर राहुल अध्यक्ष पद के लिए तैयार नहीं होते हैं, तो परिवार से बाहर के किसी नेता को पार्टी की कमान देने पर मंथन हो सकता है. ऐसे में गांधी परिवार के किसी करीबी और भरोसेमंद को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है.
बैठक में सोनिया साधेंगी असंतुष्ट जी-23 को
इस बैठक के जरिए सोनिया गांधी असंतुष्ट कहे जाने वाले गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, शशि थरूर जैसे नेताओं को साधने की कोशिश कर सकती हैं. कमलनाथ की पहल पर यह मीटिंग बुलाई गई है लिहाजा वह पार्टी और असंतुष्ट नेताओं के बीच पुल का काम कर सकते हैं. कमलनाथ ने कुछ दिनों पहले ही सोनिया से मुलाकात की थी. वैसे भी असंतुष्ट नेता स्थायी अध्यक्ष का चुनाव और संगठन में बदलाव की ही मांग कर रहे हैं.
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अगस्त में फूटा था लेटर बम
दरअसल, अगस्त महीने में गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और कपिल सिब्बल समेत कांग्रेस के 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को खत लिखकर पार्टी के लिए स्थायी अध्यक्ष होने और व्यापक संगठनात्मक बदलाव करने की मांग की थी. इसे कांग्रेस के कई नेताओं ने पार्टी नेतृत्व और खासकर गांधी परिवार को चुनौती दिए जाने के तौर पर लिया. कई नेताओं ने गुलाम नबी आजाद के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की.
आगे की रणनीति अहम
बिहार के हालिया विधानसभा चुनाव या 8 राज्यों के उपचुनाव हों या फिर हैदराबाद स्थानीय चुनाव से लेकर गोवा और केरल के स्थानीय निकाय चुनाव तक कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है. बिहार में महागठबंधन की हार के लिए कांग्रेस को ही जिम्मेदार बताया जा रहा है. चुनाव दर चुनाव हार के बाद पार्टी में नेतृत्व के प्रति असंतोष की आवाज भी तेज हुई है. आगे पश्चिम बंगाल जैसे अहम राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं. लिहाजा बैठक में इस पर भी मंथन हो सकता है कि कैसे नेताओं को एकजुट रखा जाए और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया जाए.