पतंजलि संस्थान के सर्वेसर्वा योग गुरू रामदेव और उनके साथी आचार्य बालकृष्ण बहुत बुरे फंस सकते हैं. दरअसल, बेगूसराय की फर्स्ट क्लास जुडिशियल मजिस्ट्रेट मोहिनी कुमारी की कोर्ट ने दोनों को समन भेजकर कोर्ट में अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है. योग गुरू रामदेव और उनके साथी आचार्य बालकृष्ण पर इलाज के नाम पर ठगी करने का आरोप है. कोर्ट द्वारा समन एक परिवाद पत्र पर संज्ञान लेकर जारी किया गया है.
बरौनी प्रखंड के निंगा गांव निवासी महेंद्र शर्मा ने जून 2022 में न्यायालय में परिवाद पत्र दाखिल किया था. परिवाद पत्र में महेंद्र शर्मा ने आरोप लगाया था कि जून 2022 में पतंजलि आयुर्वेद प्राइवेट लिमिटेड महरिशी कॉटेज योग ग्राम झूला में इलाज के लिए करीब 90,000/- (रुपए नब्बे हजार मात्र) जमा कराया था लेकिन जब वो 12 जून 2022 को इलाज करवाने के लिए पहुंचे तो वहां इलाज नहीं किया गया और दोबारा राशि की मांग की गई. याचिका में ये भी आरोप लगाया गया है कि महेंद्र शर्मा द्वारा बार-बार कहे जाने के बावजूद और अकाउंट में राशि ट्रांसफर करने का सबूत देने के बाद भी उनका इलाज नहीं किया गया. वादी द्वारा परिवाद पत्र में दोनों के खिलाफ आई.पी.सी. की धारा 420, 407, 417, 467, 468, 471, 120 बी का अपराध कारित करने का आरोप लगाकर न्यायालय में दाखिल किया गया था.
इलाज नहीं होने और राशि के धोखाधड़ी को लेकर महेंद्र शर्मा ने जून 2022 में ही बेगूसराय सीजीएम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और रामदेव व बालकृष्ण के खिलाफ परिवाद दर्ज कराया था, जिसके बाद फर्स्ट क्लास जुडिशल मजिस्ट्रेट कोर्ट ने समन जारी कर दोनों को व्यक्तिगत रूप से या फिर अपने अधविक्ता के माध्यम से कोर्ट में उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया है. वादी के अधिवक्ता गोपाल कुमार द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, 417 और 420 आईपीसी के तहत समन जारी किया गया है.
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क्या है 417 आई.पी.सी. ?
417 आई.पी.सी धोखाधड़ी करने के अपराध से जु़ड़ी धारा है. हालांकि, ये जमानतीय अपराध की श्रेणी में आता है. अदालत अगर आरोपी को दोषी पाती है तो दोषी को 1 साल तक की सजा या जुर्माना अथवा दोनों यानि दंड और अर्थदंड से दंडित कर सकती है. हालांकि, आई.पी.सी. 417 के तहत दोषी पाए जाने पर जमानत भी तत्काल कोर्ट द्वारा मंजूर कर ली जाती है.
क्या है 420 आई.पी.सी. ?
आई.पी.सी. की धारा 420 धोखाधड़ी से जुड़े हर अपराध में आरोपी के खिलाफ लगाई जाती है. 420 आई.पी.सी. के तहत दोषी करार देने से पहले ये देखा जाता है कि अन्य धाराएं क्या लगाई गई हैं. अगर अन्य धाराओं में सजा 3 साल से अधिक होती है तो दोषी को तुरंत जमानत मिल जाती है लेकिन 420 आई.पी.सी. के साथ जो दूसरी धाराएं लगाई गई हैं अगर वो गंभीर अपराध की धाराएं हैं तो सात साल तक की भी सजा दोषी को दी जा सकती है जो कि गैर जमानतीय श्रेणी का अपराध होता है. ऐसे में दोषी के पास उच्च न्यायालय में अपील कर जमानत के लिए प्रार्थना करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं होता.
रिपोर्ट: कन्हैया कुमार झा
HIGHLIGHTS
. CJM कोर्ट, बेगूसराय में दाखिल किया गया था परिवाद
. फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट की अदालत ने जारी किया समन
. इलाज के नाम पर धोखाधड़ी करने का आरोप
Source : News State Bihar Jharkhand