बिहार के बेतिया से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है, जहां बाढ़ प्रभावित इलाकों में गांव से बाहर निकलने के लिए प्रशासनिक स्तर पर कोई इंतजाम नहीं किया गया है. इसके कारण लोग पानी और जुगाड़ से भरी नाव से आने-जाने को मजबूर हैं. इसके साथ ही गंडक नदी में जलस्तर लगातार बढ़ने से बेतिया के योगापट्टी प्रखंड के चार गांव बाढ़ की चपेट में आ गये हैं, जिसमें जरलपुर पंचायत के खुटवनिया, गजना, शाही बाजार, बैसिया, जरलपुर आदि गांव बाढ़ से प्रभावित हैं और 600 घर बाढ़ की चपेट में हैं.
कड़ाह में बैठकर महिला को पहुंचाया अस्पताल
आपको बता दें कि जरारपुर पंचायत के जरारपुर गांव निवासी इंद्रजीत चौधरी की पत्नी बबीता देवी को बुधवार की सुबह करीब 11 बजे अस्पताल ले जाया जा रहा था. वहीं, उनके पति और ससुर बास में दो करहा बांधकर जुगाड़ से नाव बनाकर गांव से प्रसव के लिए अस्पताल ले जाते दिखे.
इसके साथ ही बबीता के ससुर सत्यदेव चौधरी ने बताया कि उनकी बहू को बच्चा होने वाला है, बुधवार की सुबह उसे दर्द होने लगा, गांव में पानी आ जाने के बाद उसे इलाज के लिए ले जाने का कोई साधन नहीं था. इसके बाद उसने गुड़ बनाने वाले करहा के पास जुगाड़ से नाव बनाई और अपनी बहू को इलाज के लिए गांव से बाहर ले गया. करीब 2 किलोमीटर तक गुड़ बनाने वाला कराह की नाव से गुड़ लेकर गांव से बाहर निकला. उन्होंने बताया कि पूरा गांव टापू में तब्दील हो गया है, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर कोई तैयारी नहीं की गयी है, न ही प्रशासन की ओर से नाव की व्यवस्था की गयी है, जिससे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
HIGHLIGHTS
- बाढ़ का पानी पार कर डिलीवर कराने पहुंचे परिजन
- कड़ाह को बनाया नाव
- बाढ़ का पानी पार करने को किया जुगाड़
Source : News State Bihar Jharkhand