बिहार के भागलपुर के लोगों के लिए राहत भरी खबर सामने आई है, जहां छह महीने के भीतर राज्य के किसी भी हिस्से में सड़क दुर्घटना होने पर स्वास्थ्य विभाग तुरंत इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस (आईआरएडी) ऐप पर जानकारी अपडेट कर देगा. इसको लेकर कवायद आरंभ हो गया है. इसके साथ ही शनिवार को महाराष्ट्र से आये ट्रेनर ने इस ऐप पर ट्रेनिंग दी, जिसमें सदर अस्पताल और जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डॉक्टर, हेल्थ मैनेजर और डेटा ऑपरेटर शामिल हुए.
आपको बता दें कि इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस (आईआरएडी) ऐप स्वास्थ्य, एलआईसी, पुलिस और राजमार्ग विभाग को एक साथ लाएगा, इसमें स्वास्थ्य विभाग का काम सबसे महत्वपूर्ण है. इसके साथ ही सड़क दुर्घटना का शिकार व्यक्ति जैसे ही अस्पताल आएगा, उसकी जानकारी ऐप पर देनी होगी. इसमें स्वास्थ्य विभाग के ''डेटा ऑपरेटर मरीज का बीएसटी, मरीज कहां सड़क हादसे का शिकार हुआ, इस हादसे में मरीज को कहा चोट लगी, इसको लेकर अस्पताल में क्या-क्या इलाज हुआ, पैथोलॉजी, रेडियोलॉजी जांच कहा हुआ, रिपोर्ट क्या आया ?'' यानी साफ है कि मरीज से जुड़ी सभी जानकारी इस ऐप पर स्वास्थ्य विभाग अपलोड करेगा.
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इंज्यूरी एंड डेथ सर्टिफिकेट भी ऐप पर उपलब्ध
इसके साथ ही अगर सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति की अस्पताल में मौत हो जाती है तो स्वास्थ्य विभाग उसका मृत्यु प्रमाण पत्र भी इस ऐप पर अपलोड करेगा, इतना ही नहीं घायल व्यक्ति की चोट की रिपोर्ट भी यहां अपलोड की जाएगी. ऐप चौबीसों घंटे काम करेगा, जिससे मरीज के बारे में सारी जानकारी किसी भी समय अपलोड की जा सकेगी.
साथ ही जब स्वास्थ्य विभाग दुर्घटना पीड़ित का डेटा अपलोड करेगा तो तीन विभागों को फायदा होगा. अगर दुर्घटना पीड़ित की मौत हो जाती है और उसने एलआईसी पॉलिसी ले रखी है. एलआईसी में परिजन मौत की जानकारी देंगे, जिसके बाद एलआईसी अधिकारी इस ऐप से मृतक के बारे में सारी जानकारी सबूत के साथ लेंगे.
बता दें कि इससे मृतक के परिजनों को यह फायदा होगा कि उन्हें चोट या मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए स्वास्थ्य विभाग के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे.उन्हें एलआईसी की पॉलिसी का लाभ समय पर मिलेगा, वहीं पुलिस विभाग को यह फायदा होगा कि वे अपने कार्यालय में बैठे-बैठे सड़क दुर्घटना के शिकार व्यक्ति के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे. साथ ही इनको भी इंज्यूरी रिपोर्ट के लिए अस्पताल जाने से मुक्ति मिल जाएगी. साथ ही हाईवे विभाग के पास यह भी जानकारी होगी कि किस सड़क पर सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं, किस सड़क पर अधिक दुर्घटनाएं हो रही हैं, वहां किस तरह का सुधार किया जाना चाहिए ताकि दुर्घटनाओं की संख्या कम हो सके.
अस्पताल में मिलेगा यूजर आईडी
इसके साथ ही एक से दो बार और प्रशिक्षण दिया जाना है. इसके बाद अस्पताल को इस ऐप से जोड़ा जाएगा, इसके लिए अस्पताल को पंजीकृत किया जाएगा, जिसके बाद डेटा अपलोड करने के लिए अस्पताल को यूजर आईडी प्रदान की जाएगी. बता दें कि भारत सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने एनआईसी का यह संयुक्त प्रयास है कि यूजर आईडी एनआईसी उपलब्ध कराएंगे. वहीं, जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल से यूजर आईडी मिलने के बाद अस्पताल में ही दस स्थानों पर इसका उपयोग डेटा अपलोड करने की सुविधा के लिए किया जाएगा. इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस एप पर प्रशिक्षण दिया गया है, जिसमें कई महत्वपूर्ण बातों की जानकारी दी गयी है. इसका लाभ चारों विभागों के अधिकारी और कर्मी के साथ-साथ आम लोग भी उठा सकते हैं.
HIGHLIGHTS
- बिहार सरकार की अनोखी पहल
- सड़क दुर्घटना के मरीज की आसानी से ले पाएंगे जानकारी
- इस ऐप का उपयोग करके ले सभी जानकारी
Source : News State Bihar Jharkhand