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क्या पवन सिंह के इस फैसले से बढ़ेगी उनकी मुश्किलें? इस सीट पर सियासी हलचल तेज

पवन सिंह की बॉडी लैंग्वेज राजनीतिक सुर्खियों में बनी हुई है. वहीं पवन सिंह के करीबियों का कहना है कि, ''पश्चिम बंगाल के आसनसोल से भाजपा की टिकट को उन्होंने ना तो कह दिया है, लेकिन लोकसभा चुनावी महासमर में उतरने की संभावना को ना नहीं कहा है.''

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Ritu Sharma
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पवन सिंह( Photo Credit : Newsstate Bihar Jharkhand)

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Bihar Politics News: एक तरफ बिहार की सियासत इन दिनों काफी गर्म है तो वहीं दूसरी तरफ भोजपुरी सिने स्टार और गायक पवन सिंह की बॉडी लैंग्वेज राजनीतिक सुर्खियों में बनी हुई है. वहीं पवन सिंह के करीबियों का कहना है कि, ''पश्चिम बंगाल के आसनसोल से भाजपा की टिकट को उन्होंने ना तो कह दिया है, लेकिन लोकसभा चुनावी महासमर में उतरने की संभावना को ना नहीं कहा है.'' अब इसको लेकर कहा जा रहा है कि, ''वे अपने गृह क्षेत्र आरा में अपनी राजनीति की जमीन तलाश रहे हैं.'' बता दें कि इन दिनों उनका एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें वह कह रहे हैं कि, ''चुनाव तो वे लड़ेंगे, लेकिन कब, कहां, कैसे और किस पार्टी से लड़ना है, यह बाद की बातें हैं.''

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आरा से चुनाव लड़ने की इच्छा जता रहें पवन सिंह

आपको बता दें कि आसनसोल से बीजेपी की उम्मीदवारी तय होने से पहले भी पवन सिंह कई बार आरा से चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुके थे. वहीं कुछ तस्वीरों में वह भगवा दुपट्टा पहने भी नजर आए थे. साथ ही बड़े नेताओं के साथ पवन सिंह की तस्वीर भी प्रसारित की. वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी के बाद पवन सिंह उनसे मिलने पहुंचे थे और उन्हें बधाई दी थी. दूसरी तरफ पवन सिंह के करीबियों का कहना है कि, ''वे हर विकल्प खुला रखना चाहते हैं.'' वहीं परिस्थितियों के कारण आसनसोल से चुनाव लड़ने से इनकार करने के बाद उन्होंने अपने विकल्पों का दायरा बढ़ा दिया है. बता दें कि एक वायरल वीडियो में पवन सिंह कह रहे हैं कि, ''बिहार-झारखंड कहीं से भी चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन हर कोई चाहता है कि वे आरा से चुनाव लड़ें.''

आरा सीट पर BJP मजबूत नहीं

वहीं आपको बता दें कि भोजपुरी स्टार की इन बातों का मतलब भी निकाला जा रहा है. 2014 से पहले आरा लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी की जमीन बहुत मजबूत नहीं थी. एनडीए से यह सीट जेडीयू के खाते में थी और 2009 में पार्टी की मीना सिंह ने चुनाव जीता था. एनडीए से अलग होने के बाद 2014 में बीजेपी ने यहां से रिटायर वरिष्ठ गृह सचिव राजकुमार सिंह को मौका दिया. इसके बाद नरेंद्र मोदी की लहर और सांसद आरके सिंह के क्षेत्र में किये गये काम और उनकी साफ सुथरी छवि ने आरा में बीजेपी को मजबूत स्थिति में पहुंचा दिया. साथ ही 2019 के चुनाव में विपक्ष के वोटों के एकजुट होने के बावजूद बीजेपी ने एक लाख 47 हजार से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की थी.

पवन सिंह के लिए है ये मुश्किल कदम

इसके साथ ही आपको बता दें कि आरके सिंह के अलावा बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता भी भोजपुर से आते हैं. जेडीयू से सांसद रहीं मीना सिंह भी अब बीजेपी में हैं. ऐसे में पवन सिंह की बीजेपी से आरा तक की राह आसान नहीं है. हालांकि, पवन सिंह चुनाव लड़ने की चाहत की लिस्ट में आरा के साथ-साथ छपरा, महाराजगंज, वाल्मिकी नगर और औरंगाबाद का भी नाम ले रहे हैं.

HIGHLIGHTS

  • पवन सिंह का फैसला क्या बढ़ाएगी उनकी मुश्किलें
  • बिहार के इस सीट पर सियासी हलचल तेज
  • आरा सीट पर BJP मजबूत नहीं!

Source : News State Bihar Jharkhand

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