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अररिया में दिखा अनोखा कारनामा, नहर की जगह खेत में ही बना दिया पुल...

अररिया जिले में एक अनोखा पुल बनाया गया है. यहां पुल न तो नदी पर बना है और न ही इस पुल को जोड़ने के लिए कोई सड़क है. यह पुल खेत के बीचों-बीच बना है, जो अब प्रशासन के झंझट में है. हड्डी में तब्दील हो चुका है.

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Ritu Sharma
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Araria bridge
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Bihar News: बिहार के अररिया जिले में ग्रामीण कार्य विभाग ने एक अनोखा पुल बना दिया है जो चर्चा का विषय बन गया है. परमानपुर पंचायत में खेतों के बीच स्थित इस पुल के आसपास न तो कोई सड़क है और न ही कोई नदी. इस अजीबोगरीब निर्माण को देखकर स्थानीय लोग हैरान हैं और इसे सरकारी धन की बर्बादी करार दे रहे हैं. मामले के प्रकाश में आने पर डीएम इनायत खान ने तुरंत जांच के आदेश दिए हैं और ग्रामीण कार्य विभाग के अधिकारियों से रिपोर्ट तलब की है. उन्होंने पुल निर्माण में लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई का आश्वासन भी दिया है.

ग्रामीणों की नाराजगी और आरोप

आपको बता दें कि स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह पुल निजी जमीन पर बनाया गया है और निर्माण के बाद ठेकेदार और ग्रामीण कार्य विभाग के अधिकारी इसे यूं ही छोड़कर चले गए. ग्रामीणों का मानना है कि यह पुल बेकार है क्योंकि इसके दोनों ओर सड़क नहीं है. उनका कहना है कि यह निर्माण किसी उपयोग का नहीं है और इसे बनाने में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है.

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बिचौलियों की भूमिका पर सवाल

वहीं ग्रामीणों का आरोप है कि बिचौलियों की मिलीभगत से बिना किसी ठोस योजना के यह पुल बना दिया गया है. उनका कहना है कि इस पुल की कोई आवश्यकता नहीं थी और इसे बनाने के पीछे सिर्फ भ्रष्टाचार छिपा है. ग्रामीणों ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है ताकि सच्चाई सामने आ सके.

डीएम का आश्वासन और जांच का आदेश

इसके साथ ही आपको बता दें कि डीएम इनायत खान ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया है कि इस मामले की पूरी जांच की जाएगी. उन्होंने बताया कि तीन किलोमीटर लंबी सड़क के निर्माण की योजना है और संभवतः यह पुल उसी सड़क का हिस्सा होगा. डीएम ने स्पष्ट किया कि सड़क और पुल के निर्माण पर करीब तीन करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. उन्होंने यह भी कहा कि जांच के बाद यदि किसी भी अधिकारी या ठेकेदार की लापरवाही पाई गई तो उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.

सरकारी धन की बर्बादी या अधूरी योजना?

आपको बता दें कि ये मामला सरकारी धन के दुरुपयोग का प्रतीक बन गया है. स्थानीय लोगों का मानना है कि बिना किसी समुचित योजना के यह निर्माण हुआ है. हालांकि, डीएम का कहना है कि पुल तीन किलोमीटर लंबी सड़क परियोजना का हिस्सा हो सकता है, जिससे ग्रामीणों के संदेह को कुछ हद तक कम किया जा सकता है. फिर भी, जब तक पूरी जांच नहीं हो जाती और दोषियों पर कार्रवाई नहीं होती, यह पुल ग्रामीणों के लिए एक बेमतलब का निर्माण ही रहेगा.

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