बिहार विधानसभा में इस बार कई दिग्गज अपनी सियासी किस्मत आजमा रहे हैं. आज हम आपको एक शख्स के बारे में बताएंगे जिनको आप जानते होंगे, लेकिन उनकी कुछ ऐसी खासियत से रुबरू कराएंगे. जिन्हें जानकर आप कह उठेंगे वाह भाई वाह. तो चलिए जानते बिहार के पूर्व बाहुबली सांसद रहे पप्पू यादव के बारे में, जिन्होंने कोरोना लॉकडाउन के दौरान जनता की काफी सहायता की. इस बार वे अपनी जन अधिकार पार्टी के साथ चुनावी मैदान में उतरे हैं और बिहार के सीएम कैंडिडेट भी हैं.
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पप्पू यादव उर्फ राजेश रंजन का सियासी सफर
पप्पू यादव उर्फ राजेश रंजन का जन्म एक धनी जमींदार परिवार में हुआ है. पप्पू यादव एक बार विधायक और 5 बार सांसद रहे हैं. वो पहले राजद में थे, लेकिन 2015 में उन्होंने जन अधिकार नाम से अपनी पार्टी बना ली. पप्पू यादव मधेपुरा सीट से विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. पप्पू ने 2019 में मधेपुरा से लोकसभा चुनाव भी लड़ा था, लेकिन हार गए थे.
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लव स्टोरी भी बड़ी दिलचस्प, फिल्मी कहानी की तरह
पप्पू यादव की लव स्टोरी भी बड़ी दिलचस्प है और किसी फिल्मी कहानी से कम भी नहीं है. दरअसल, साल 1991 में पप्पू यादव बांकीपुर जेल में बंद थे. जेल में बंद पप्पू अक्सर जेल अधीक्षक के घर से लगे मैदान में लड़कों को खेलते देखा करते थे. इन लड़कों में एक था विक्की. बाद में विक्की से पप्पू यादव की नजदीकी बढ़ी. एक बार पप्पू यादव ने विक्की के फैमिली एलबम में टेनिस खेलते हुए रंजीत की फोटो देखी. पहली नजर में ही रंजीत की फोटो देखकर पप्पू उनसे प्यार कर बैठे. जेल से छूटने के बाद रंजीत से मिलने के लिए पप्पू यादव अक्सर उस टेनिस क्लब में पहुंच जाते, जहां वो टेनिस खेलती थीं. पप्पू की ये सब आदतें रंजीत को अच्छी नहीं लगती थीं, उन्होंने कई बार मना किया, मिलने से रोका और कठोर शब्द भी कहे. लेकिन पप्पू यादव डटे रहे. एक बार तो रंजीत ने यहां तक कह दिया कि वे सिख हैं और पप्पू हिंदू और उनके परिवार वाले ऐसा होने नहीं देंगे. बाद में जैसे-तैसे रंजीत तो मान गईं, लेकिन परिवार वाले नहीं माने.
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रंजीत के व्यवहार से परेशान होकर एक बार पप्पू यादव ने ढेर सारी नींद की गोलियां खा ली थी, जिसके बाद उन्हें पटना मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. इस बारे उन्होंने अपनी किताब 'द्रोहकाल का पथिक' में भी विस्तार से चर्चा किया है. अपनी किताब 'द्रोहकाल का पथिक' में पप्पू यादव ने लिखा है कि किसी ने उन्हें कांग्रेस नेता एसएस अहलूवालिया से मिलने की सलाह दी. उस शख्स ने कहा कि अहलूवालिया जी आपकी मदद कर सकते हैं, ऐसे में पप्पू यादव तुरंत उनसे मिलने के लिए दिल्ली जा पहुंचे. पप्पू यादव ने अपनी इस किताब में डिटेल में ज़िक्र किया है. आख़िरकार शादी की तैयारी हुई और फरवरी 1994 में पप्पू यादव और रंजीत की शादी हो गई.
Source : News Nation Bureau