राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल जनता दल (युनाइटेड) के अपने कोटे की सभी 115 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा के बाद बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गुप्तेश्वर पांडेय का चुनाव लड़ने का सपना एक बार फिर टूट गया है. इस बीच उन्होंने अपने शुभचिंतकों के लिए सोशल मीडिया के जरिए एक संदेश देकर निराश नहीं होने की अपील की है. बिहार के डीजीपी रहे पांडेय ने कुछ दिनों पूर्व स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उपस्थिति में जदयू की सदस्यता ग्रहण की थी, तब यह कयास लगाए जा रहे थे कि पांडेय इस चुनाव में बक्सर से जदयू के प्रत्याशी हो सकते हैं, लेकिन बक्सर सीट बीजेपी के कोटे में चली गई.
यह भी पढ़ें : Hathras Case : घटना के बाद का वीडियो आया सामने, चार लोगों के मौजूद होने के सबूत
इसके बाद यह भी बातें सियासी हवा में तैरने लगी कि पांडेय को बीजेपी टिकट देकर विधानसभा पहुंचा देगी, लेकिन बीजेपी ने यहां परशुराम चतुर्वेदी को टिकट थमाकर उनके सियासी सपनों को तोड़ दिया. जदयू ने अपनी सभी 115 सीटों पर उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी, जिसमें गुप्तेश्वर पांडेय का नाम नहीं है. इसके बाद पूर्व डीजीपी पांडेय का दर्द छलक गया. पांडेय ने सोशल मीडिया के आधिकारिक एकाउंट से पोस्ट किया, अपने अनेक शुभचिंतकों के फोन से परेशान हूं, मैं उनकी चिंता और परेशानी भी समझता हूं. मेरे सेवामुक्त होने के बाद सबको उम्मीद थी कि मैं चुनाव लड़ूंगा, लेकिन मैं इस बार विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ रहा. हताश निराश होने की कोई बात नहीं है. धीरज रखें, मेरा जीवन संघर्ष में ही बीता है. मैं जीवन भर जनता की सेवा में रहूंगा. कृपया धीरज रखें और मुझे फोन नहीं करें. बिहार की जनता को मेरा जीवन समर्पित है.
यह भी पढ़ें : Bihar Election : पहले चरण के नामांकन का आज आखिरी दिन, जानें किन दिग्गजों ने भरा पर्चा
वैसे, यह कोई पहली बार नहीं है कि पांडेय का विधानसभा या लोकसभा पहुंचने का सपना टूटा है. इससे पहले करीब 11 साल पहले 2009 में भी पांडेय ने वीआरएस लिया था, तब चर्चा थी कि वे बीजेपी के टिकट लेकर बक्सर लोकसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतरेंगें, लेकिन उस समय भी उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया. वैसे, पांडेय की राजनीतिक पारी में भले ही अब तक गोटी सही सेट नहीं हो सकी है, लेकिन अभी भी कई विकल्प खुले हुए हैं. कहा जा रहा है कि बिहार में राज्यपाल कोटे के 12 विधान परिषद सदस्यों का मनोनयन होना है. चुनाव के बाद राजग की सत्ता में वापसी होती है तो जदयू के प्रमुख नीतीश कुमार के हाथ में होगा कि वो किसे विधान परिषद भेजते हैं. ऐसे में पांडेय अब इस कोटे के जरिए सदन पहुंचने के लिए राजनीतिक जुगाड़ कर अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं.
Source : IANS/News Nation Bureau