ऐसे तो आमतौर पर किसी भी चुनाव के पहले राजनीतिक दलों द्वारा वादों की झड़ी लगाई जाती रही है, लेकिन बिहार में इस साल हो रहे विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections 2020) में राजनीतिक दल नौकरियों की बारिश कर रहे हैं. अगर सच में राजनीतिक दल इतनी नौकरियां उपलब्ध करा दें तो बिहार में पलायन की समस्या ही दूर हो जाए. वैसे, सबसे मजेदार बात है कि पिछले 30 साल से बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस, जनता दल युनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी (BJP) सत्ता में रही है, लेकिन आज भी यहां के युवाओं को शिक्षा या नौकरी के लिए अन्य राज्यों में पलायन करना पड़ता है.
इस चुनाव में यही राजनीतिक दल अपने-अपने घोषणा पत्र में नौकरी और रोजगार की झड़ी लगाकर, युवाओं को आकर्षित करने में जुड़े हैं. हालांकि इस दौरान सभी राजनीतिक दल 'खुद की कमीज दूसरों से सफेद' बताने को लेकर एक-दूसरे की आलोचना करते हुए सवाल भी उठा रहे हैं. महागठबंधन में शामिल होकर साथ में चुनाव मैदान में उतरे राजद और कांग्रेस ने जहां बिहार के 10-10 लाख युवाओं को नौकरी देने का वादा किया है, वहीं भाजपा ने 19 लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा अपने घोषणा पत्र में किया है.
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भाजपा की नेता और केन्द्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को पटना में भाजपा के '5 सूत्र, एक लक्ष्य, 11 संकल्प' के विजन डाक्यूमेंट को जारी किया. इस घोषणा पत्र में बीजेपी ने 19 लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा किया है. भाजपा ने अपने घोषणापत्र में वादा किया है कि एक हजार नए किसान उत्पाद संघों को आपस में जोड़कर राज्यभर के विशेष सफल उत्पाद जैसे- मक्का, फल, सब्जी, चूड़ा, मखाना, पान, मशाला, शहद, मेंथा, औषधीय पौधों के लिए सप्लाई चेन विकसित करेंगे जिससे 10 लाख रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे. इसके अलावा स्वास्थ और शिक्षा क्षेत्रों में भी रोजगार देने का वादा किया गया है.
इससे पहले काग्रेंस ने बुधवार को अपना घोषणा पत्र जारी किया था. कांग्रेस के इस घोषणा पत्र में 10 लाख युवाओं को रोजगार और जिन लोगों को रोजगार नहीं मिलेगा, उन्हें 1500 रुपये मासिक बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया गया है. इधर, जदयू ने भी कौशल विकास कर लोगों को रोजगार देने का वादा किया है. इधर राजद नेता तेजस्वी यादव ने पार्टी का घोषणा पत्र जारी करते हुए संकल्प लिया है कि उनकी सरकार बनते ही पहली कैबिनेट में युवाओं को 10 लाख रोजगार देने पर मुहर लगेगी. इस मामले को वे सभी चुनावी सभाओं में जिक्र भी कर रहे हैं.
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तेजस्वी के रोजगार देने के वादे को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने सवाल उठाए कि आखिर इतना पैसा कहां से आएगा. सुषील मोदी ने कहा यदि वास्तव में दस लाख लोगों को सरकारी नौकरी दी जाए तो राज्य के खजाने पर 58,415.06 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. इसके अलावा पूर्व से कार्यरत 12 लाख से ज्यादा कर्मियों के वेतन मद में होने वाले खर्च 52,734 करोड़ को इसमें जोड़ लें तो यह राशि 1,11,189.06 करोड़ होती है. उन्होंने राजद के वादे को ढपोरशंखी तक बता दिया.
इधर भाजपा के घोषणा पत्र में 19 लाख रोजगार देने को लेकर राजद नेता तेजस्वी यादव ने सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि राजद के 10 लाख नौकरियों पर सवाल उठाने वाले अब 19 लाख लोगों को रोजगार देने की बात कर रहे हैं. उन्होंने इसे छलावा बताते हुए कहा कि हमारे निर्णय के बाद इन्हें रोजगार देने की चिंता सता रही है. सुशील मोदी कहते हैं, भााजपा और दूसरे दलों में यही फर्क है कि दूसरे जहां तारे तोड़ लाने जैसे वादे कर केवल सत्ता हथियाना चाहते हैं, वहां भाजपा सिर्फ वही बात करती है, जिसे जमीन पर लागू किया जा सके.
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उन्होंने आगे कहा, हम कोरा वादा नहीं, सेवा का संकल्प करते हैं, इसलिए घोषणा पत्र में 19 लाख लोगों को रोजगार देने का निश्चय किया है. हमने इसका ब्योरा भी दिया है कि ये अवसर लोगों को कैसे दिलाएंगे. बहरहाल, इस चुनाव में नौकरियों की बारिश हो रही है, अब देखने वाली बात है किस राजनीतिक दल के वादों पर लोग ज्यादा विश्वास करते हैं और उन्हें सत्ता तक पहुंचाते हैं.