बिहार में पुलों के टूटने का मुद्दा तुल पकड़ता जा रहा है. सियासी आरोप-प्रत्यारोप के बीच, अब केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) मंत्री जीतन राम मांझी ने इसे सरकार को बदनाम करने की साजिश करार दी है. मांझी का कहना है कि, पुलों का टूटना चिंता का विषय है, लेकिन ऐसा लगता है कि इसके पीछे सरकार को बदनाम करने की षडयंत्र है. उन्होंने कहा कि, पुलों के ढहने की वजह निर्माण में इस्तेमाल की जा रही घटिया सामग्री हो सकती है, लेकिन एक पखवाड़े पहले सब कुछ ठीक था और अब टूटना शुरू हो गया है.
मांझी ने अपने बयान में कहा कि, उन्हें लगता है कि इसके पीछे सरकार को बदनाम करने की साजिश है. दो महीने पहले, राज्य में पुलों के ढहने की कोई घटना नहीं थी. अब पुल लगातार टूट रहे हैं और उन्हें कुछ लोगों द्वारा सरकार का अपमान करने की साजिश का संदेह है. उन्होंने कहा कि, सरकार बिहार में पुलों के निर्माण के लिए जिम्मेदार इंजीनियरों और ठेकेदारों के खिलाफ जांच शुरू करने के लिए प्रतिबद्ध है. मांझी ने कहा कि, ऐसे हादसे भविष्य में न हो इसके लिए राज्य सरकार द्वारा सभी आवश्यक उपाय किए जा रहे हैं.
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गौरतलब है कि, पिछले दस दिनों में अररिया, सीवान, पूर्वी चंपारण और किशनगंज जिलों सहित बिहार के विभिन्न जिलों में पांच पुल ढह गए हैं. ताजा पुल ढहने की खबर राज्य के सबसे उत्तरी हिस्से में नेपाल की सीमा पर स्थित मधुबनी जिले के भेजा थाना क्षेत्र से आई है.
हादसे पर शुरू सियासी घमासान
बिहार में पुल टूटने की घटनाओं के मद्देनजर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने 28 जून को पांचवें पुल के ढहने के बाद नीतीश कुमार सरकार की आलोचना की थी. यादव ने अपने एक्स अकाउंट पर मधुबनी और सुपौल के बीच भूतही नदी पर बने पुल के ढहने को लेकर एक वीडियो शेयर करते हुए कहा था कि, "नौ दिनों के भीतर बिहार में ढहने वाला यह 5वां पुल है. मधुबनी-सुपौल के बीच भूतही नदी पर वर्षों से निर्माणाधीन पुल ध्वस्त हो गया."
Source : News Nation Bureau