बिहार की नीतीश सरकार ने राज्य में होने वाले पंचायत चुनाव (Bihar Panchayat Election) को लेकर महत्वपूर्ण फैसला लिया है. कोरोना और बारिश की वजह से बिहार में पंचायत चुनाव टाल दिया गया है. बिहार में पंचायतों का कार्यकाल 15 जून को खत्म हो रहा है. इसके मद्देनजर मंगलवार को नीतीश सरकार (CM Nitish Kumar) ने बड़ा फैसला लिया। तय किया गया है. नीतीश सरकार ने फैसला किया है कि 15 जून को प्रदेश के करीब ढाई लाख पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल खत्म हो जाने दिया जाएगा और मुखिया-सरपंच का कार्यकाल का विस्तार नहीं दिया जाएगा. इसके बदले बिहार में पहली बार परामर्श समितियां बनेंगी जो गांवों की सरकार चलाएंगी. बिहार सरकार ने पंचायत प्रतिनिधियों को विस्तार यानी एक्सटेंशन न देने का फैसला लिया है.
इस फैसले को पंचायत प्रतिनिधियों के लिए झटका के तौर पर देखा जा रहा है. मंगलवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की अहम बैठक में कुल 18 एजेंडों पर मुहर लगी, जिसमें सबसे अहम मुद्दा पंचायती राज चुनाव को लेकर लिया गया फैसला रहा. पंचायतों में परामर्श समिति का गठन होगा जिसके तहत बिहार में पंचायत, ग्राम कचहरी, पंचायत समिति, जिला परिषद में परामर्शी समिति का गठन किया जाएगा.
दरअसल, बिहार में कोरोना महामारी के कारण पंचायत चुनाव न होने के हालात बन गए हैं. बिहार के पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण बिहार में पंचायत चुनाव समय से नहीं कराया जा सकता है, जिसके कारण बिहार कैबिनेट ने निर्णय लिया है कि पंचायतों में परामर्शी समिति की नियुक्ति होगी. यदि किसी कारण से ग्राम पंचायत का आम निर्वाचन कराना संभव नहीं होने पर ग्राम पंचायत भंग हो जाएगी. ग्राम पंचायत के विकाश कार्य परामर्श समिति द्वारा की जाएगी.
अब इस प्रस्ताव को राज्यपाल के पास भेजा जाएगा कि समिति में कौन-कौन लोग होंगे. इस पर बाद में निर्णय होगा. उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि पंचायतों के लिए प्रशासक नियुक्त नहीं किये जाएंगे, लेकिन ये भी मान जा रहा है कि परामर्श समिति में अफसर और वर्त्तमान पंचायत प्रतिनिधियों को शामिल किया जायेगा. बिहार में वर्तमान पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल 15 जून को समाप्त हो रहा है.
Source : News Nation Bureau