लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नज़दीक आता जा रहा है पुराने मुद्दे गरमाते जा रहे हैं. राम मंदिर के बाद अब आरक्षण का मुद्दा भी एक बार फिर से सियासी गलियारे में चर्चा का विषय बन गया है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज के समय में आरक्षण की प्रसांगिता पर बल देते हुए कहा कि अगर इसे ख़त्म कर दिया गया तो समाज की मुख्य धारा से दूर लोग कभी इस पंक्ति में शामिल नहीं हो पाएंगे. इतना ही नहीं उन्होंने आरक्षण ख़त्म नहीं होने की गारंटी देते हुए कहा कि किसी में इतनी ताक़त नहीं की वो आरक्षण को ख़त्म कर दे. अगर ज़रूरत पड़ी तो हमलोग इसे बनाए रखने के लिए किसी तरह का बलिदान दे सकते हैं.
बता दें कि पिछले महीने बिहार की राजधानी पटना में जनता दल (युनाइटेड) के छात्र समागम में एक युवक ने आरक्षण के विरोध में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तरफ चप्पल फेंकने की कोशिश की थी.प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक चंदन ने आरक्षण के विरोध में नारे भी लगाए.
इससे पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने भी आरक्षण देने की नीति में सुधार लाने की बात कही थी. भागवत ने कहा, "समाजिक कलंक को मिटाने के लिए संविधान में प्रदत्त आरक्षण का आरएसएस पूरी तरह समर्थन करता है. आरक्षण कबतक दिया जाना चाहिए, यह निर्णय वही लोग करें, जिनके लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई है. जब उन्हें लगे कि यह जरूरी नहीं है, तो वे इसका निर्णय लें."
उन्होंने कहा, "आरक्षण कोई समस्या नहीं है, समस्या आरक्षण की राजनीति से है. समाज का एक अंग पीछे छूट गया है, यह हमारे कर्मो का परिणाम है. इस 1000 साल पुरानी बीमारी को ठीक करने के लिए हमें 100-150 साल पीछे जाना होगा, और मैं नहीं समझता कि यह कोई महंगा सौदा है."
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भागवत का यह ताजा रुख उनके 2015 के रुख से अलग है, जब उन्होंने सार्वजनिक तौर पर आरक्षण नीतियों की समीक्षा की मांग की थी.
Source : News Nation Bureau