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डॉक्टरों के रहते अस्पताल में इलाज करने आया तांत्रिक, ठीक करने के बहाने करता रहा खिनौना काम

बिहार के कई अस्पतालों में डॉक्टरों की जगह तांत्रिकों का प्रवेश अब आम बात हो गई है. मरीजों के परिजन कई बार डॉक्टरों पर कम और तांत्रिकों पर ज्यादा भरोसा करते देखे गए हैं.

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Ritu Sharma
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बिहार के अस्पतालों में तांत्रिकों की मौजूदगी

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Bihar Crime News: बिहार के कोसी क्षेत्र के अस्पतालों में अंधविश्वास की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं, जहां मरीजों के इलाज के दौरान तांत्रिकों की एंट्री हो रही है. सुपौल और सहरसा जिले के अस्पतालों में ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां डॉक्टरों के इलाज पर भरोसा न करते हुए परिजन तांत्रिकों के पास पहुंच गए. इस घटनाक्रम से न केवल अस्पतालों की व्यवस्थाओं पर सवाल उठे हैं, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं पर भी लोगों का विश्वास डगमगाने लगा है.

सहरसा के मॉडल अस्पताल में तांत्रिक का हस्तक्षेप

आपको बता दें कि सहरसा के मॉडल अस्पताल, जिसे कोसी का पीएमसीएच कहा जाता है. तांत्रिक के झाड़-फूंक से मरीज का इलाज कराने का मामला प्रकाश में आया है. यहां एक महिला मरीज, जिसे यूरिन बैग और स्लाइन लगा था. अस्पताल के वार्ड से बाहर लाकर तांत्रिक से इलाज कराया गया. तांत्रिक ने महिला की गर्दन पकड़कर झाड़-फूंक शुरू कर दी और दावा किया कि वह उसे ठीक कर देगा. यह घटना अस्पताल प्रशासन की लापरवाही और स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा को उजागर करती है.

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तांत्रिक का दावा और अस्पताल की लापरवाही

वहीं तांत्रिक जो खुद को भगवती का पुजारी बताता है, ने दावा किया कि वह पूजा करने आया था, लेकिन महिला के बारे में जानकारी मिलते ही वह अस्पताल पहुंच गया. उसने अपने माथे पर हाथ रखकर महिला का इलाज किया और दावा किया कि महिला की तबीयत में सुधार हुआ. तांत्रिक ने यह भी कहा कि वह महिला का रिश्तेदार है. इस तरह के तांत्रिक हस्तक्षेप ने अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

सुपौल में सर्पदंश के इलाज के लिए तांत्रिकों की एंट्री

इसके साथ ही आपको बता दें कि सुपौल के अनुमंडलीय अस्पताल में भी तांत्रिकों के हस्तक्षेप का मामला सामने आया है. पिछले महीने यहां सर्पदंश के शिकार 6 वर्षीय बच्चे और 25 वर्षीय महिला को अस्पताल लाया गया था. डॉक्टरों के इलाज पर परिजनों को भरोसा न होने के कारण उन्होंने गांव से तांत्रिक बुला लिए. तीन तांत्रिकों ने अस्पताल परिसर में घंटों झाड़-फूंक की, जबकि अस्पताल प्रबंधन मूकदर्शक बना रहा. यह घटना अंधविश्वास के बढ़ते प्रभाव और स्वास्थ्य सेवाओं की उपेक्षा को दर्शाती है.

भागलपुर में भी दिखा तांत्रिक का उत्पात

भागलपुर के नवगछिया में भी ऐसा ही मामला सामने आया था, जहां एक मृत बच्ची के जीवित होने का दावा करते हुए महिला तांत्रिक ने अस्पताल में हंगामा खड़ा कर दिया था। डॉक्टरों द्वारा बच्ची को मृत घोषित किए जाने के बाद महिला तांत्रिक ने दावा किया कि बच्ची जिंदा है और वह उसे ठीक कर सकती है। अंततः पुलिस को बुलाकर स्थिति संभाली गई।

स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल

आपको बता दें कि इन घटनाओं से स्पष्ट है कि बिहार के कई इलाकों में अब भी अंधविश्वास का प्रभाव स्वास्थ्य सेवाओं पर हावी है. तांत्रिकों के हस्तक्षेप ने न केवल चिकित्सा व्यवस्थाओं को कमजोर किया है, बल्कि लोगों के मन में आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति संदेह भी पैदा कर दिया है. इन घटनाओं से यह सवाल उठता है कि क्या आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं के बावजूद लोग अंधविश्वास की जकड़न से बाहर आ पाएंगे?

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