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मनीष सिसोदिया को लेकर ये क्या बोल गए जीतन राम मांझी? मचा सियासी बवाल

मनीष सिसोदिया को जमानत दिए जाने पर जीतन राम मांझी ने कहा कि यह एक न्यायिक प्रक्रिया है और उन्हें जमानत मिलने का मतलब यह नहीं है कि वह बरी हो गए हैं.

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Ritu Sharma
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Jitan Ram Manjhi

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Jitan Ram Manjhi On Manish Sisodia Bail: दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व बिहार मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि यह एक न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है. उन्होंने स्पष्ट किया कि सिसोदिया का जेल जाना और फिर जमानत पर रिहा होना, दोनों ही कानून के तहत हुई प्रक्रियाएं हैं. मांझी ने यह भी कहा कि जमानत मिलना दोषमुक्त होने का संकेत नहीं होता है. उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि जमानत के बाद राजनीति या भाषण देना उचित नहीं होता, क्योंकि किसी भी अनियमितता की स्थिति में फिर से जेल जाने की संभावना रहती है. मांझी ने यह मामला न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का बताया और इस पर टिप्पणी से बचने की सलाह दी.

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क्रीमी लेयर और कोटे में कोटा पर जीतन राम मांझी का रुख

केंद्रीय मंत्रिमंडल में क्रीमी लेयर के मुद्दे पर चर्चा के दौरान मांझी ने कहा कि क्रीमी लेयर और कोटे में कोटा दो अलग-अलग बातें हैं. उन्होंने इस विषय पर स्पष्ट किया कि शेड्यूल कास्ट के लिए क्रीमी लेयर की व्यवस्था लागू नहीं होनी चाहिए, जैसा कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में होता है. मांझी का मानना है कि एससी और एसटी समुदायों में क्रीमी लेयर का कोई स्थान नहीं होना चाहिए, क्योंकि अभी भी समाज में कई लोग हाशिये पर हैं और उनके लिए विशेष व्यवस्था की आवश्यकता है.

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मंदिरों में भेदभाव पर जीतन राम मांझी का बयान

आपको बता दें कि बिना किसी का नाम लिए मांझी ने चिराग पासवान के उस बयान का जवाब दिया जिसमें मंदिरों में उनके प्रवेश के बाद सफाई की बात कही गई थी. मांझी ने इसे सामाजिक समस्या बताया और कहा कि भले ही यह एक अलग मुद्दा हो, लेकिन बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने आरक्षण पर हर 10 साल में पुनर्विचार की बात कही थी. इस पर बोलने की बजाय, मांझी ने ध्यान क्रीमी लेयर और आरक्षण की अन्य महत्वपूर्ण समस्याओं पर देने की बात की.

शेड्यूल कास्ट में कोटे में कोटा की जरूरत

वहीं मांझी ने कहा कि शेड्यूल कास्ट में 21 जातियां हैं और इनमें से केवल चार जातियां प्रमुख रूप से सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व कर रही हैं. उन्होंने इस असंतुलन को दूर करने के लिए कोटे में कोटा की मांग की. उनका मानना है कि आरक्षण का आधार जनसंख्या होना चाहिए और इस आधार पर शेड्यूल कास्ट की सभी जातियों को समुचित प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए. मांझी ने जोर देकर कहा कि शेड्यूल कास्ट के लिए क्रीमी लेयर की व्यवस्था नहीं होनी चाहिए, बल्कि जिन जातियों को अभी तक उचित आरक्षण नहीं मिला है, उनके लिए विशेष व्यवस्था की जानी चाहिए.

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