बिहार में सत्तारूढ जनता दल (युनाइटेड) के सांगठनिक चुनाव को लेकर प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिए 27 नवंबर की तिथि निश्चित कर दी गई है, लेकिन अभी भी कई जिलों में जिलाध्यक्ष का चुनाव नहीं हो सका है. कहा जा रहा है कि जिन जिलों में अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो सका है, वहां पार्टी में विवाद साफ दिखाई दिया. ऐसे में कहा जा रहा है कि जदयू के चुनाव प्रक्रिया में कहीं जदयू के पूर्व अध्यक्ष आर सी पी सिंह का साइड इफेक्ट तो नहीं है.
बिहार जदयू में इस साल 70 लाख सदस्य बनाए गए हैं, जो 2019 में बनाए गए सदस्यों से 30 लाख अधिक है. इस बीच, जदयू के निर्वाचन पदाधिकारी जनार्दन प्रसाद सिंह ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष का 27 नवंबर को निर्वाचन होगा. 26 नवंबर को प्रत्याशी नामांकन पत्र दाखिल कर सकेंगे.
वैसे, यह तय माना जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष वहीं बनेंगे, जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सहमति होगी. लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर जिलों में संगठन के चुनाव को लेकर विवाद क्यों हो रहा है.
जदयू में प्रखंड स्तर तक संगठन चुनाव की प्रकिया शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न करा ली गई, लेकिन जैसे ही मामला जिला स्तर तक पहुंचा, विवाद सामने आने लगे. सूत्र कहते हैं कि नए प्रत्याशी और पुराने जिला अध्यक्षों में रस्साकसी को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ. जिन जिलों में विवाद हुआ है उसका फैसला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ऊपर छोड़ दिया गया है.
जदयू के एक नेता बताते हैं कि कुल 51 सांगठनिक जिला स्तरीय निर्वाचन में चार जिला नगर अध्यक्ष का चुनाव और पांच जिलाध्यक्ष का चुनाव स्थगित किया गया है.
जिला अध्यक्षों के चुनाव में विवाद उत्पन्न होने को लेकर माना जा रहा है कि भले ही आर सी पी सिंह अब जदयू में नहीं है, लेकिन पार्टी में उनके समर्थकों की संख्या कम नहीं है. माना जाता है कि सिंह जब जदयू के अध्यक्ष थे तब उनका पूरा जोर संगठन पर था और वे पार्टी में जदयू नेताओं और कार्यकतार्ओं के लिए विकल्प खड़ा करने का प्रयास किया था. ऐसे में सूत्रों का मामना है कि यही कारण है कि नए और पुराने में विवाद प्रारंभ हुआ है.
वैसे, सिंह मानते हैं कि कोई भी नेता दूसरे दल के नेता को बढ़ाने का काम नहीं करेगी. लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने दल के नहीं बल्कि राजद के नेता को बढ़ाने की सार्वजनिक रूप से घोषणा कर है. ऐसे में समझा जा सकता है कि जदयू का भविष्य क्या है.
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Source : IANS