बिहार विधानसभा चुनाव में दूसरे चरण के 94 सीटों में से 56 सीटों पर राष्ट्रीय जनता दल ने इस बार अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं. दूसरा चरण राजद के लिए काफी अहम माना जा रहा है. इसी चरण में पार्टी के सीएम पद के उम्मीदवार तेजस्वी प्रसाद यादव राघोपुर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. सिर्फ तेजस्वी यादव ही नहीं बल्कि पूर्व मंत्री तेजप्रताप यादव, आलोक कुमार मेहता और शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल भी इसी चरण में मैदान में हैं.
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राघोपुर विधानसभा सीट
महागठबंधन से सीएम पद के उम्मीदवार तेजस्वी प्रसाद यादव राघोपुर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. राघोपुर विधानसभा सीट हमेशा से बिहार के वीआईपी सीटों में शुमार रही है. इस सीट को आरजेडी का गढ़ माना जाता है, जहां से खुद लालू यादव, राबड़ी देवी और उनके बेटे तेजस्वी यादव भी जीत दर्ज कर चुके हैं. तेजस्वी यादव एक बार फिर राघोपुर से चुनावी मैदान में हैं और अपनी पार्टी के इस किले को बचाना उनके लिए भी चुनौती है.
एनडीए ने इस सीट पूर्व बीजेपी विधायक सतीश कुमार को मैदान में उतारा है. वहीं, एलजीप के राकेश रोशन यहां से उम्मीदवार. त्रिकोणीय मुकाबले ने इस सीट की लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है. हालांकि, इस सी से कई निर्दलीय भी मैदान में हैं.
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हसनपुर विधानसभा सीट
बिहार के समस्तीपुर जिले में आने वाली हसनपुर विधानसभा सीट समाजवादियों का गढ़ रहा है और सिर्फ एक बार इस सीट से कांग्रेस को जीत मिली है. फिलहाल, इस बार इस सीट पर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और जेडीयू के बीच मुकाबला है. आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के चुनाव मैदान में उतरने से लड़ाई दिलचस्प हो गई है. वहीं जेडीयू ने राज कुमार राय, एलजेपी ने मनीष कुमार को मैदान में उतारा है. जन अधिकार पार्टी की तरफ से अरुण प्रसाद यादव ताल ठोक रहे हैं.
हसनपुर विधानसभा सीट पर शुरू से ही समाजवादी रुझान वाले दलों को जीत मिलती रही है. यदि 1967 से यहां के चुनावी इतिहास को देखा जाए तो सिर्फ 1985 में कांग्रेस को जीत मिली थी. शुरुआत में इस सीट पर संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, जनता पार्टी, जनता दल के उम्मीदवार जीतते रहे हैं. बाद के दिनों में हसनपुर सीट जदयू और राजद के बीच चुनावी जंग का मैदान बन गई.
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उजियारपुर विधानसभा सीट
इन्हीं 94 सीटों में उजियारपुर विधानसभा सीट भी आती है जहां पर सीधी टक्कर भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के बीच में है. बीजेपी ने उजियारपुर विधानसभा सीट से शील कुमार राय को अपना प्रत्याशी बनाया हुआ है जबकि राजद ने एक बार फिर पिछली बार के विजेता आलोक कुमार मेहता पर दांव खेला है.
पिछली बार उजियारपुर सीट पर राजद प्रत्याशी आलोक कुमार मेहता और BLSP प्रत्याशी कुमार अनंत के बीच टक्कर थी, भाजपा और जेडीयू ने पिछली बार अलग-अलग चुनाव लड़ा था इसलिए दोनों आमने सामने थी, लेकिन इस बार भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन में जेडीयू शामिल है ऐसे में भाजपा ने इस सीट से अपना प्रत्याशी दिया हुआ है.
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दानापुर विधानसभा सीट
दानापुर से रीतलाल यादव और वैशाली की महनार सीट से रामा सिंह की पत्नी वीणा सिंह का नाम प्रमुख हैं. इनके अलावा पूर्व सांसद आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद शिवहर सीट से मैदान में हैं. वहीं पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर सिंह छपरा सीट से तो प्रभुनाथ सिंह के भाई केदारनाथ सिंह बनियापुर से चुनाव लड़ रहे हैं.
नीतीश के मंत्रियों की साख दांव पर
राज्य सरकार के चार मंत्रियों का कामकाज जनता की कसौटी पर है। चारों में दो भारतीय जनता पार्टी और दो जनता दल यूनाइटेड के हैं. पटना साहिब से बीजेपी के वरिष्ठ नेता एवं मंत्री नंद किशोर यादव और मधुबन से मंत्री राणा रणधीर सिंह हैं तो नालंदा से जेडीयू के वरिष्ठ नेता एवं मंत्री श्रवण कुमार और हथुआ से मंत्री रामसेवक सिंह.
परसा विधानसभा सीट
लालू प्रसाद के समधी चंद्रिका राय को जेडीयू ने परसा से उतारा है. वे पिछली बार आरजेडी के टिकट पर जीते थे, लेकिन पारिवारिक झगड़े ने पार्टी बदलने पर विवश किया. लालू ने अपने समधी के खिलाफ छोटेलाल राय को टिकट दिया है.
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बांकीपुर विधानसभा सीट
बीजेपी का गढ़ मानी जाने वाली बांकीपुर विधानसभा सीट पर मौजूदा पार्टी विधायक को लगातार तीसरी बार जीतने से रोकने के लिए कांग्रेस ने अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे लव सिन्हा को मैदान में उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है. शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस के टिकट पर पिछले साल पटना साहिब सीट से लोकसभा चुनाव लड़े थे, जिसमें उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था. कांग्रेस ने बांकीपुर सीट के 37 वर्षीय लव सिन्हा को उम्मीदवार बनाकर मतदाताओं को हैरानी में डाल दिया है. बिहार की राजधानी पटना का बड़ा हिस्सा बांकीपुर निर्वाचन क्षेत्र में आता है.
साल 2015 में राष्ट्रीय जनता दल ने 31 सीटें जीती थी. पिछली बार राष्ट्रीय जनता दल के साथ कांग्रेस और जदयू भी एक साथ चुनाव लड़े थे. लेकिन इस बार परिस्थितियां बिल्कुल उलट हैं. राजद कांग्रेस एक साथ हैं. जबकि जदयू और बीजेपी से उनका मुकाबला है. लोजपा, जाप, रालोसपा के मैदान में होने से मुकाबला और दिलचस्प हो गया है.
Source : News Nation Bureau