Bihar Floor Test: बिहार की राजनीति के लिए 12 फरवरी 2024 का दिन काफी अहम है. दरअसल नीतीश सरकार बचेगी या फिर जाएगी इसका फैसला फ्लोर टेस्ट के जरिए होना है. यही वजह है कि नीतीश गुट और विरोधी गुट दोनों ही अपनी-अपनी ताकत बढ़ाने में जुटे हैं,लेकिन फ्लोर टेस्ट से पहले ही हम प्रमुख जीतन राम मांझी ने सबकी पेशानी पर पसीना ला दिया है. दरअसल जीनत राम मांझी का फोन पहले बंद हो गया, जिससे नीतीश खेमे में हड़कंप मच गया. इसके बाद 12 फरवरी की सुबह भी उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा था. ऐसे में हर किसी के जहन में यह सवाल उठ रहा था कि मुश्किल क्या है. क्योंकि जीतन राम ने नीतीश का साथ छोड़ा तो उनके लिए सरकार बनाना मुश्किल हो सकता है.
एनडीए की स्थिति मजबूत
फ्लोर टेस्ट से पहले वैसे तो एनडीए की स्थिति काफी मजबूत बताई जा रही है, क्योंकि बहुमत के लिए 122 का आंकड़ा चाहिए और एनडीए के पास 128 सीट हैं. ऐसे में नीतीश बाबू सरकार बचाने में काफी हद तक सक्षम हैं. लेकिन अगर जीतन राम मांझी गड़बड़ करते हैं तो नीतीश के लिए चुनौती थोड़ी बज जाएगी. क्योंकि उनके पास 4 विधायक हैं.
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एनडीए 8 विधायकों से संपर्क भी टूटा
फ्लोर टेस्ट से पहले नीतीश की मुश्किल इसलिए भी बढ़ी क्योंकि एनडीए के कुल 8 विधायकों से संपर्क ही नहीं हो पा रहा. इनमें 5 जनता दल यू यानी JDU और 3 विधायक बीजेपी के शामिल हैं. हालांकि जब तक फ्लोर टेस्ट नहीं हो जाता ये कहना मुश्किल है कि ये आठों किसकी तरफ हैं.
एक दूसरे के विधायक तोड़ने की कोशिश
सरकार बनाने की होड़ में दोनों ही दलों की ओर से अपनी-अपनी जीत के दावे भी प्रस्तुत किए गए हैं. दरअसल 243 विधानसभा सीटों में से सबसे ज्यादा सीटें राष्ट्रीय जनता दल यानी RJD के पास है. आरजेडी 79 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है. वहीं उनके पास कांग्रेस के 19, वामदल के 16 एमएलए भी साथ हैं. ऐसे में इंडिया गठबंधन के पास 114 सीटों का साथ है. जबकि एनडीए की ताकत 128 सीट की है. इनमें बीजेपी के 78 एमएलए, जेडीयू के 45, हम के 4 और एक निर्दलीय विधायक भी इन्हीं के पाले में बताया जा रहा है.
लेकिन अगर हम के 4 विधायक टूटते हैं और जिन 8 विधायकों से संपर्क नहीं हुआ है उनमें से चार भी टूट जाते हैं तो नीतीश खेमा सरकार बचाने में नाकाम हो जाएगा. हालांकि इसके आसार कम ही लग रहे हैं. लेकिन ये राजनीति है और राजनीति में खेला होना कोई बड़ी बात नहीं है.
Source : News Nation Bureau