जाति आधारित गणना और आर्थिक सर्वेक्षण करने में लगे पदाधिकारीयों और कर्मियों को पर्व के मौके पर उनका मानदेय मिल जाएगा. इसमें मुख्य रूप से प्रगणक, पर्यवेक्षक, चार्ज पदाधिकारी, सहायक चार्ज पदाधिकारी और जिला पदाधिकारी के मानदेय शामिल हैं. नीतीश सरकार 212 करोड़ 77 लाख रुपये की राशि जिलों को जारी कर दी है. जातिगत गणना और आर्थिक सर्वेक्षण का नोडल विभाग सामान्य प्रशासन विभाग ने राशि जारी की है. सबसे अधिक राशि पटना जिला को दी गई है. सामान्य प्रशासन के उपसचिव रजनीश कुमार ने सभी डीएम को निर्देश दिया है कि इस राशि को जारी करने को खर्च की मंजूरी के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए.
जातीय गणना के कार्यों के मानदेय के लिए 212 करोड़ राशि की जारी
मानदेय का भुगतान गहन जांच के बाद और बिहार बजट नियमों, बजट मैनुअल और संबंधित वित्तीय नियमों में निहित प्रावधानों के अनुसार किया जाना चाहिए. सामान्य प्रशासन के जारी आदेश के मुताबिक सभी जिलों को कुल 212.77 करोड़ रुपये दी है. पटना को सबसे अधिक 11 करोड़ 49 लाख रुपये दिए गए हैं. मुजफ्फरपुर को 10 करोड़ 16 लाख रुपये, मोतिहारी को 9 करोड़ 57 लाख रुपये भेजी गई है. गया जिला को 9 करोड़ 30 लाख रुपये की राशि और सबसे छोटे जिला अरवल को 1 करोड़ 59 लाख रुपये मिले हैं. बिहार में जातिगत गणना और आर्थिक सर्वेक्षण 2022 दो चरणों में किया गया है.
HIGHLIGHTS
- जातीय गणना की रिपोर्ट आने के बाद बिहार सरकार उत्साहित
- जातीय गणना के कार्यों के मानदेय के लिए 212 करोड़ राशि की जारी
- आर्थिक सर्वेक्षण में लगे कर्मियो को पर्व के मौके पर मिलेगा मानदेय
- नीतीश सरकार 212 करोड़ 77 लाख की राशि जिलों को जारी कर दी
Source : News State Bihar Jharkhand