Bharat Bandh 2024: सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी आरक्षण में कोटे के अंदर कोटा लागू करने की सिफारिश के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन हुआ. इसके विरोध में 21 अगस्त को भारत बंद का आह्वान किया गया, जिसका कई राजनीतिक दलों ने समर्थन किया. हालांकि, केंद्रीय मंत्री और 'हम' पार्टी के संरक्षक जीतन राम मांझी ने इस बंद का कड़ा विरोध किया. उन्होंने प्रदर्शनकारियों को स्वार्थी बताते हुए कहा कि यह बंद समाज के वंचित वर्गों के उत्थान में बाधा डालने वाला कदम है.
बंद का समर्थन करने वालों को बताया स्वार्थी
आपको बता दें कि जीतन राम मांझी ने खुलकर कहा कि बंद का आह्वान करने वाले स्वार्थी तत्व हैं. उनके अनुसार, ये लोग नहीं चाहते कि समाज के पिछड़े और कमजोर तबके को आरक्षण का वास्तविक लाभ मिले. मांझी ने कहा, ''यह लोग चाहते हैं कि 100 प्रतिशत लाभ सिर्फ एक ही वर्ग के पास जाए, जबकि वंचित वर्गों को कुछ भी न मिले.'' उन्होंने आरोप लगाया कि आरक्षण का लाभ केवल कुछ जातियों तक सीमित हो गया है और बाकी जातियां अभी भी हाशिए पर हैं.
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन
वहीं जीतन राम मांझी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि यह समय की मांग है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि आरक्षण का वर्गीकरण होना जरूरी है ताकि उन जातियों को भी लाभ मिल सके, जो आजादी के 76 साल बाद भी पिछड़ी हुई हैं. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे घर के चार भाइयों में संसाधनों का बंटवारा कर लिया जाता है, वैसे ही समाज के वंचित वर्गों के बीच आरक्षण का भी बंटवारा होना चाहिए.
आरक्षण का असमान वितरण
इसके अलावा आपको बता दें कि केंद्रीय मंत्री ने आरक्षण के असमान वितरण पर चिंता जताते हुए कहा कि 76 वर्षों में शेड्यूल कास्ट आरक्षण का 90 प्रतिशत से ज्यादा लाभ सिर्फ चार से पांच जातियों को मिला है. उन्होंने कहा कि समाज की बाकी 18 प्रतिशत जातियां अभी भी पिछड़ी हुई हैं और उनमें से भी केवल 5 से 7 प्रतिशत को ही आरक्षण का लाभ मिला है. मांझी ने इसे अन्याय बताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रस्तावित वर्गीकरण से इस अन्याय को समाप्त किया जा सकता है.
छोटे भाई का विकास प्राथमिकता
वहीं आपको बता दें कि जीतन राम मांझी ने यह भी कहा कि उन्होंने इस बंद का विरोध इसलिए किया क्योंकि समाज के छोटे और कमजोर तबके का विकास होना चाहिए. उन्होंने कहा कि बंद का समर्थन करने वाले लोग सिर्फ अपने स्वार्थ को ध्यान में रख रहे हैं, जबकि यह वक्त समाज के हाशिए पर खड़े लोगों के विकास का है. उन्होंने जोर देकर कहा कि सुप्रीम कोर्ट का वर्गीकरण का फैसला एक सकारात्मक कदम है, जिससे समाज के वंचित तबकों को उनका हक मिलेगा.