मॉनसून की रूसवाई ने किसानों को बहुत रुलाया है. देश में समय पर मानसून का आगमन किसानों को उत्साहित करने को काफी था. बिहार में समय पर बारिश शुरू तो हुई लेकिन फसल रोपनी का समय नजदीक आने के साथ ही बरसते बादल जैसे सूख से गए. जून के आखिर के कुछ दिनों में हुई बरसात ने गर्मी से तपते खेतों को नमी तो पहुंचाई पर धनरोपनी के लिए खेतों में पानी लगने की बाट जोह रहे किसान बादलों की बेरुखी से परेशान होने लगे. देश के दूसरे हिस्सों में बारिश के कारण बाढ़ आ गई पर बिहार मानसून की बहार के लिए तरसता रहा.
हर दिन आसमान की ओर टकटकी लगाए किसान रोपनी का समय बीतने के साथ-साथ परेशान होने लगे और अब तो सरकार भी परेशान किसानों को मानसून की बेरुखी से बचाने, उन्हें राहत पहुंचाने के लिए तैयारी में जुट गई है. सूखे की आशंका को देखते हुए राज्य सरकार कृषि फीडर में बिजली की अबाधित आपूर्ति पर विचार कर रही है. डीजल पर अनुदान देने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. कमजोर मानसून को देखते हुए कृषि विभाग की समीक्षा बैठक के बाद ऊर्जा विभाग को कृषि फीडर में निर्बाध बिजली देने का अनुरोध किया गया है.
कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने तो इसके लिए ऊर्जा विभाग को पत्र लिख दिए जाने की जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि अगर एक सप्ताह के भीतर वर्षा नहीं होती है तो स्थिति गंभीर हो सकती है. बिजली की नियमित आपूर्ति हो तो बिचड़ा भी बचेगा और रोपनी भी होगी. कृषि मंत्री ने बताया कि राज्य में मानसून की अनिश्चित्ता के कारण फसलों की बोआई और रोपनी प्रभावित हो रही है. राज्य में सामान्य से 33 प्रतिशत कम वर्षा हुई है, जो इस समय परेशानी का कारण है.
कम वर्षा को देखते हुए धान का बिचड़ा और जूट की दो सिंचाई के लिए 60 रुपये प्रति लीटर की दर से अनुदान देने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है. इसके लिए 10 लीटर डीजल की खरीद के लिए 600 रुपये अनुदान देने पर विचार किया जा रहा है. डीजल पर धान एवं मक्का की दो
सिंचाई के लिए अनुदान दिया जाएगा. दलहनी, तेलहनी, मौसमी सब्जी, औषधीय एवं सुगंधित पौधों की तीन सिंचाई के लिए अनुदान दिया जा सकता है.
किसानों को राहत पहुंचाने के लिए आकस्मिक फसल योजना के लिए 30 करोड़ रुपये का प्रविधान किया जा रहा है. इसके तहत बिहार राज्य बीज निगम के माध्यम से अल्पावधि वाले धान के प्रभेदों, प्रमाणित धान, संकर मक्का, अरहर, उड़द, तोरिया, अगात सरसों, अगात मटर, भिंडी, मूली, कुल्थी, ज्वार, बरसीम आदि के बीज प्रभावित शत प्रतिशत अनुदान पर किसानों को देने का विचार किया जा रहा है. बारिश समय पर नहीं हुए तो उसके लिए वैक्लपिक व्यवस्था की जा रही है, पर कृषि मंत्री ने कहा कि उर्वरक की कमी नहीं है. अप्रैल से जून तक 2.51 लाख मीट्रिक टन यूरिया की जरूरत थी, इसके विरुद्ध केंद्र से 2.70 लाख मीट्रिक टन उर्वरक की आपूर्ति की गई. सभी जिलों में पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध है.
मानसून क्यों रूठा ?
बिहार में भी मानसून सक्रिय होते ही उत्तरी और पूर्वी बिहार में लगातार बारिश हुई, दक्षिण और पश्चिम बिहार में शुरुआती मानसून ने निराश ही किया. हालांकि मौसम विभाग ने शुरुआती पूर्वानुमान में बताया था कि मानसून के दस्तक का आभास प्रदेश के कुछ हिस्सों में मूसलाधार बारिश के साथ होगी. साथ ही बिहार में दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगे बढ़ने के लिए अनुकूल परिस्थिति भी बन रही है, पर अचानक से एक टर्फ पर मानसून जैसे अटक सा गया. मजबूत मानसून की रफ्तार टर्फ ने रोक दिया और फिर कई हिस्सों में किसान बादलों के बरसने की बाट जोहते रह गए.
मौसम विभाग के अनुसार, पिछले एक सप्ताह से मानसून की ट्रफ रेखा लगभग एक ही स्थान से गुजर रही है, जिस कारण बिहार में बारिश नहीं हो पा रही है. मौसम विभाग के अनुसार, 17 जुलाई तक ऐसी ही स्थिति रहेगी. 18 जुलाई के बाद मौसम में बदलाव आने की उम्मीद है. इसके बाद पूरे प्रदेश में भारी बारिश के अनुमान है. राज्य में मानसून के कमजोर पड़ने और कम बारिश के पीछे मौसम वैज्ञानिक कई वजहें बता रहे हैं. इसमें बड़ी वजह जलवायु परिवर्तन को माना जा रहा है. वहीं बंगाल की खाड़ी में बनने वाला कम दबाव का क्षेत्र भी मानसून पर असर डालता है, जो इस बार काफी कमजोर रहा है. इसी वजह से सूबे के ज्यादातर इलाके बारिश के लिए तरस रहे हैं.
राज्य के 38 में से 35 जिलों में अब तक औसत से 30 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है. ऐसे में मौसम विभाग की भविष्यवाणी से किसानों की उम्मीदें बढ़ गई है. मौसम विभाग के अनुसार, फिलहाल 5-6 दिनों तक उमस भरी गर्मी से राहत नहीं मिलने वाली है. पटना मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, बिहार में 18 जुलाई के बाद मानसून सक्रिय हो जाएगा. इससे पहले भारी बारिश की संभावना नहीं है.
Source : News Nation Bureau