बिहार के भोजपुर जिले से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है, जिसको जान आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे. बिहार में एक तरफ गरीब तबके के लोग खाद्य सुरक्षा में नाम जुड़वाने के लिए प्रखंडों के चक्कर लगा रहें हैं और फिर भी नाम नहीं जुड़वा पा रहे हैं. इसके उलट कई बंगलाधारी, सरकारी और रिटायर्ड कर्मचारी हर महीने गरीबों को फ्री में मिलने वाले गेहूं और चावल का लाभ उठा रहे हैं. यहां सबसे बड़ी बात यह है कि भोजपुर जिले में 2014 से खाद्य सुरक्षा सूची में अयोग्य होने के बाद भी 4 हजार 320 सरकारी कर्मचारी अब भी खाद्य सुरक्षा का लाभ ले रहे हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि उनके पास बड़े-बड़े घर, महंगी मोटरसाइकिलें और कारें हैं.
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इसके साथ ही नगर निगम क्षेत्र के वार्डों और गांवों में शायद ही कोई ऐसा वार्ड होगा, जहां कोई सरकारी कर्मचारी या बांग्लादेशी खाद्य सुरक्षा से जुड़ा न हो. सभी वार्डों के अधिकांश लोगों का नाम खाद्य सुरक्षा सूची से जुड़ा हुआ है. इसमें दिलचस्प बात यह है कि खाद्य सुरक्षा सूची से जुड़े सरकारी कर्मचारियों और बंगला धारकों ने राशन कार्ड में अपने मोबाइल नंबर तक लिखवाए हैं. जिला प्रशासन ने अब खाद्य सूची में शामिल अपात्र लोगों का सर्वेक्षण शुरू कर दिया है और जल्द ही ऐसे लोगों के नाम सूची से हटा दिए जाएंगे और उनसे गेहूं और चावल की कीमत भी वसूली जाएगी.
कुछ राशन कार्डधारी कर रहे धांधली
आपको बता दें कि कुछ डीलरों ने खुलासा किया है कि कई राशन कार्डधारी डीलर से अनाज लेकर बनियों को बेच देते हैं. इसके साथ ही सदर एसडीओ ने कहा कि वैसे सभी कार्डधारकों की पहचान करने का निर्देश दिया गया है जो खाद्यान्न बेच रहे हैं. इसके साथ ही बता दें कि खाद्य सुरक्षा सूची में 1420 ऐसे सरकारी कर्मचारी हैं, जिन्होंने गरीबों पर डाका डाला है, सरकारी नौकरी वाले इन लोगों के कारण जरूरतमंद गरीबों तक लाभ नहीं पहुंच पा रहा है. साथ ही इसकी जांच में तीन विभागों की टीमें लगाई गई हैं.
HIGHLIGHTS
- क्या गरीबों का निवाला छीन अमीर
- बिहार में कौन ले रहा कोटे का राशन
- अब प्रशासन सख्त
Source : News State Bihar Jharkhand