Bihar Politics News: एक तरफ बिहार की राजनीति दिन-ब-दिन गर्म होती दिख रही है, तो वहीं दूसरी तरफ शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की ओर से इन दिनों कई आदेश जारी किये जा रहे हैं. वहीं कई फरमानों को जहां शिक्षा विभाग में सुधार के लिए जरूरी बताकर सराहना की जा रही है तो वहीं कई फरमानों का विरोध भी किया जा रहा है. इसी क्रम में पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि, ''शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) के के पाठक की तानाशाही कार्यशैली के खिलाफ भाकपा (माले), कांग्रेस जैसे सहयोगी दल यदि सचमुच गंभीर हैं, तो उन्हें बंदरघुड़की वाले बयान देकर शिक्षकों के सामने चेहरा नहीं चमकाना चाहिए, बल्कि सरकार से समर्थन वापस लेने का अल्टीमेटम देना चाहिए.'' बता दें कि सुशील कुमार मोदी के इस बयान से बिहार में सियासत और तेज हो गई है.
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आपको बता दें कि आगे सुशील कुमार मोदी ने कहा कि, ''नीतीश कुमार सहयोगी दलों और उनके बयानों को कोई महत्व नहीं देते हैं, जबकि पाठक उनके चहेते अधिकारी हैं.'' साथ ही उन्होंने कहा कि, ''जब एसीएस पाठक ने राजद कोटे के शिक्षा मंत्री को अपमानित कर उनका कार्यालय आना बंद करा दिया था, तो अन्य सहयोगी दलों की औकात ही क्या है ? इसको मुख्यमंत्री को देखना चाहिए कि बिहार शिक्षा विभाग की क्या हालत हो गयी है.''
इसके साथ ही आपको बता दें कि आगे उन्होंने कहा कि, ''लालू प्रसाद ने बेटे को मुख्यमंत्री बनवाने के लोभ में नीतीश कुमार के हाथों अपनी पार्टी के शिक्षा मंत्री का अपमान भी बर्दाश्त कर लिया. इससे पाठक का मन बढ़ता रहा और अभी नहीं रोका गया तो आगे भी बढ़ते रहेगा. पाठक ऐसे अधिकारी हैं, जो अपने मनमाने, अलोकतांत्रिक और अव्यावहारिक आदेशों के चलते किसी भी विभाग में एक साल से ज्यादा नहीं टिके. उनके आदेशों से नाराज होकर कई बार न्यायालय ने उन पर अर्थदंड लगाना पड़ा.'' वहीं आगे सुशील कुमार ने कहा कि, ''शिक्षा विभाग में बदलाव के लिए सत्तारूढ़ दलों के विधायक नाक भी रगड़ लें, तो नीतीश कुमार उनके कहने से पाठक को नहीं हटाएंगे.''
HIGHLIGHTS
- BJP सांसद सुशील मोदी ने दिया बड़ा बयान
- केके पाठक को बताया CM नीतीश का चहेता
- कहा- सहयोगी दलों को महत्व नहीं देते मुख्यमंत्री
Source : News State Bihar Jharkhand