बिहार में शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी के पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद इस्तीफा दिए जाने को लेकर अब राज्य का सियासी पारा चढ़ गया है. इस मामले को लेकर पक्ष और विपक्ष आमने-सामने आ गए हैं. विपक्ष जहां इस मामले को लेकर भ्रष्टाचार के आरोपी को मंत्री बनाए जाने को लेकर सवाल उठा रहा है, वहीं सत्ता पक्ष इसे उदाहरण बताते हुए तेजस्वी से ही इस्तीफे की मांग कर रहा है. शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी ने आखिरकार गुरुवार को इस्तीफा दे दिया. कुछ ही दिनों पहले राजग सरकार में मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार के शपथ लेने के साथ उन्होंने मंत्री पद की शपथ ली थी. चौधरी ने गुरुवार को शिक्षा मंत्री का पदभार ग्रहण किया था. शिक्षा मंत्री बनाए जाने के बाद से ही उनपर लगे भ्रष्टाचार के आरोप को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर निशाना साध रहा था.
इधर, गुरुवार को पदभार संभालने के कुछ ही घंटों के बाद उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. उनका इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया गया है. इस्तीफे के बाद राजद विधायक दल के नेता तेजस्वी यादव ने एकबार फिर मुख्यमंत्री को कटघरे में खड़ा किया है. उन्होंने शिक्षा मंत्री के इस्तीफे को नौटंकी बताते हुए असली गुनहगार मुख्यमंत्री को बताया है. तेजस्वी ने एक अधिकारिक बयान जारी कर कहा, 'मुख्यमंत्री जी, जनादेश के माध्यम से बिहार ने हमें एक आदेश दिया है कि आपकी भ्रष्ट नीति, नीयत और नियम के खिलाफ आपको आगाह करते रहें. महज एक इस्तीफे से बात नहीं बनेगी. अभी तो 19 लाख नौकरी, संविदा और समान काम-समान वेतन जैसे अनेकों जन सरोकार के मुद्दों पर मिलेंगे.'
उन्होंने मुख्यमंत्री को असली गुनाहगार बताते हुए आगे कहा, 'असली गुनाहगार आप हैं. आपने मंत्री क्यों बनाया? आपका दोहरापन और नौटंकी अब चलने नहीं दी जाएगी?' इधर, भाजपा के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि तेजस्वी यादव को भी इस्तीफा देना चाहिए, क्योंकि वे भी भ्रष्टाचार से जुड़े आईआरसीटीसी घोटाले में न केवल चार्जशीटेड हैं बल्कि जमानत पर हैं. जदयू के नेता और पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि शिक्षा मंत्री ने इस्तीफा देकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुशासन, भ्रष्टाचार और अपराध से समझौता नहीं करने के संस्कार को प्रमाणित किया है. उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव भी भादवि की धारा में 420 के आरोपी हैं और दूसरे को नसीहत दे रहे हैं.
Source : News Nation Bureau