बिहार विधान सभा चुनाव का विगुल बज चुका है. चुनाव आयोग ने इलेक्शन की तारीखों का ऐलान कर दिया है. सियासी पार्टियों ने अपने-अपने समीकरण सेट करने में चुनावी रणनीति बनाना शुरु कर दिया हैं. वहीं, बिहार का चुनावी मिजाज कुछ बदला है या फिर उसी तरह बिहार की जनता का मूड़ है. जैसे 2015 के विधान सभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के गठबंधन के वक्त था. चलिए आपको बताते हैं. बिहार की जनता का इस बार क्या मूड़ है.
यह भी पढ़ें : जनता मालिक है, सेवा का मौका देगी तो सेवा करुंगा : नीतीश
आईएएनएस सी-वोटर बिहार ओपिनियन पोल सर्वे के अनुसार, अगले महीने बिहार में होने वाले चुनाव में 50 प्रतिशत से ज्यादा मतदाता सरकार बदलना चाहते हैं. सर्वेक्षण के अनुसार, करीब 56.7 प्रतिशत मतदाता सरकार से 'नाखुश' हैं और वे बदलाव चाहते हैं, जबकि 29.8 प्रतिशत सरकार से 'नाराज' हैं, लेकिन इसे बदलना नहीं चाहते हैं. मात्र 13.5 फीसदी मतदाताओं ने कहा कि वह नाराज नहीं हैं और न ही वह सरकार को बदलना चाहते हैं.
यह भी पढ़ें : जिसने भी सिंधिया परिवार के साथ धोखा किया, उसको करारा जबाव मिला : ज्योतिरादित्य
जदयू ने राजद और कांग्रेस के साथ गठबंधन में 2015 का विधानसभा चुनाव लड़ा और सत्ता में आ गई. महागठबंधन के नेता के रूप में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने, लेकिन बाद में उन्होंने राजद का साथ छोड़, सरकार बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी से हाथ मिला लिया. सर्वेक्षण में 25,789 सैंपल का प्रयोग किया गया है और सर्वेक्षण की अवधि 1 सितंबर से 25 सितंबर के बीच की है. सर्वेक्षण में सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों को शामिल किया गया है और सर्वे में चूक का मार्जिन राज्य स्तर पर प्लस/माइनस 3 प्रतिशत और क्षेत्रीय स्तर पर प्लस/माइनस 5 प्रतिशत है.
Source : IANS/News Nation Bureau