पटना में एक मॉल निर्माण के दौरान वहां की मिट्टी संजय गांधी जैविक उद्यान में डलवाने के मामले की जांच निष्पक्ष एजेंसी से करवाने की मांग को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए पटना उच्च न्यायालय ने सरकार से छह सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायाधीश अनिल उपाध्याय की खंडपीठ ने जाने-माने वकील मणि भूषण प्रताप सेंगर की एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार से कथित मिट्टी घोटाले की जांच की विस्तृत रिपोर्ट अदालत में पेश करने का आदेश दिया है।
जनहित याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता सेंगर ने बताया कि अदालत ने सरकार से इस संबंध में भी जवाब मांगा है कि इससे कहीं पर्यावरण को तो नुकसान नहीं पहुंचा है। उन्होंने बताया कि अदालत ने सरकार से यह भी बताने को कहा है कि इस मामले अब तक दोषियों के खिलाफ क्या कारवाई की गई है? मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद होगी।
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उल्लेखनीय है कि भाजपा के नेता सुशील कुमार मोदी ने अप्रैल महीने में राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद के पुत्र और तत्कालीन वन एवं पर्यावरण विभाग के मंत्री पर आरोप लगाया था कि उनके परिवार के पटना में बन रहे एक मॉल की निकली मिट्टी का उपयोग संजय गांधी जैविक उद्यान में जा रही है।
आरोप लगाया गया था कि मॉल की मिट्टी को बिकवाने के लिए उद्यान में सौंदर्यीकरण के नाम पर अनावश्यक 90 लाख की पगडंडी बनाने काम शुरू किया गया। बाद में हालांकि राज्य के मुख्य सचिव ने इस मामले में विभाग को क्लीनचिट दे दी थी।
इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर अधिवक्ता सेंगर ने इसी साल सात अप्रैल को पटना उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की थी।
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Source : IANS