बिहार में नियोजित शिक्षकों के सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से राज्य के प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में पठन-पाठन के कार्य में व्यवधान उत्पन्न हो गया है. इस बीच, हड़ताल को लेकर सियासत भी तेज हो गई है. बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले कई संगठनों के करीब चार लाख से अधिक शिक्षक समान काम के बदले समान वेतन की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए.
समिति के प्रदेश अध्यक्ष ब्रजनंदन कुमार ने कहा कि समान काम, समान वेतन के साथ सात सूत्री मांगों को लेकर शिक्षकों के हड़ताल पर चले जाने के कारण राज्य के अधिकांश स्कूलों में पढ़ाई ठप हो गई है. टीईटी-एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ के प्रवक्ता अश्विनी पांडेय ने कहा, "सभी जिला मुख्यालयों में शिक्षक धरने पर बैठे और अपनी मांगों की आवाजों को बुलंद किया."
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इधर, शिक्षकों के हड़ताल पर जाने के बाद इस चुनावी वर्ष में सियासी बयानबाजी भी तेज हो गई है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन झा ने हड़ताल गए शिक्षकों का समर्थन किया और राज्य सरकार से इनकी मांग को स्वीकार करने की मांग की.
उन्होंने कहा, "शिक्षक अपने काम का वेतन मांग रहे हैं." राजद के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने भी शिक्षकों की हड़ताल का समर्थन किया है. उन्होंने कहा, "बिहार में शिक्षा और स्वास्थ्य की हालत खराब है. अगर राजद की सरकार बनेगी तो राज्य में शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त होगी." इधर, राज्य के शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा ने इस हड़ताल को सही नहीं मानते.
उन्होंने कहा, "अभी राज्य में मैट्रिक की परीक्षा हो रही है. ऐसे में कई छात्रों का भविष्य का प्रश्न है. ऐसे में शिक्षकों का हड़ताल पर जाना सही नहीं है." हालांकि, उन्होंने कहा, "इस मामले का हल वार्ता से निकाला जाएगा." इस बीच, राज्य में सोमवार से प्रारंभ हुई मैट्रिक परीक्षा सुचारु रूप से संपन्न हो गई.
Source : IANS