Ashwini Choubey Expressed Displeasure: एक तरफ बिहार की राजनीति में हलचल मची हुई है, वहीं दूसरी तरफ पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने हाल ही में भागलपुर में नए सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के उद्घाटन कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किए जाने पर गहरी नाराजगी जताई है. इस नाराजगी को उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर जाहिर किया. अपने पत्र में उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि उन्हें भागलपुर के नागरिक होने के बावजूद इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया, जो उनके लिए कष्टप्रद है. अश्विनी चौबे ने यह भी कहा कि ''समय बलवान होता है,'' इस संकेत के साथ कि समय के साथ स्थिति बदल सकती है.
अश्विनी चौबे की निराशा
आपको बता दें कि 06 सितंबर को भागलपुर में नए सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के उद्घाटन समारोह में अश्विनी चौबे को आमंत्रित नहीं किया गया, जिससे वे बेहद दुखी हैं. चौबे ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर अपनी शिकायत दर्ज की. पत्र में उन्होंने लिखा, ''इस शुभ अवसर पर मुझे एक नागरिक के रूप में भी आमंत्रित नहीं किया गया, जिसका मुझे गहरा दुख है.'' अश्विनी चौबे ने यह भी उल्लेख किया कि अस्पताल के शिलान्यास और शिलापट्ट पर उनका नाम नहीं होने से वे काफी आहत महसूस कर रहे हैं.
यह भी पढ़ें : बिहार सरकार के विज्ञापन से गायब हुआ इस उपमुख्यमंत्री का नाम, राजनीतिक गलियारों में मचा हड़कंप
अश्विनी चौबे के प्रयास से बना अस्पताल
वहीं अश्विनी चौबे ने फेसबुक पर भी अपनी पीड़ा व्यक्त की और बताया कि यह अस्पताल उनके विशेष प्रयासों से ही बन सका है. उन्होंने कहा कि इस परियोजना को साकार करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इसके अलावा, भागलपुर में नए सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के बाहर एक होर्डिंग भी लगाई गई है, जिसमें चौबे के प्रयासों का जिक्र किया गया है. होर्डिंग पर लिखा है, ''अश्विनी चौबे के प्रयास से ही यह अस्पताल बना है,'' जिसमें उनके बेटे अर्जित चौबे और अन्य बीजेपी नेताओं की तस्वीरें भी दिखाई गई हैं.
जेपी नड्डा का उद्घाटन समारोह में संबोधन
साथ ही आपको बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, जो दो दिवसीय बिहार दौरे पर थे. भागलपुर में नए सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के उद्घाटन के साथ ही इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (IGIMS) में नवनिर्मित क्षेत्रीय नेत्र संस्थान का भी उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि 1983 से 2005 तक IGIMS का विकास धीमी गति से हुआ, लेकिन अब इसकी प्रगति तेजी से हो रही है. उन्होंने कहा, ''अगर किसी माध्यम से उचित सेवा दी जा सकती है, तो वह स्वास्थ्य विभाग है.'' नड्डा ने यह भी कहा कि अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में समय लगता है, लेकिन यह जनता तक पहुंचने का एकमात्र प्रभावी माध्यम है.
राजनीतिक संदेश
आपको बता दें कि इस पूरे प्रकरण ने न केवल अश्विनी चौबे की नाराजगी को सामने लाया, बल्कि यह भी संकेत दिया कि अस्पताल के निर्माण में उनकी भूमिका को नजरअंदाज किया गया. इस विवाद ने बिहार की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है, जहां एक प्रमुख बीजेपी नेता के योगदान को सार्वजनिक रूप से मान्यता नहीं दी गई. चौबे ने इसे अपनी प्रतिष्ठा के खिलाफ एक कदम के रूप में देखा है और यह मामला अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन चुका है.