Bihar Politics News: बिहार की राजनीति में इन दिनों वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है. कहा जा रहा है कि सहनी जल्द ही राजनीतिक पाला बदल सकते हैं। इस चर्चा को और हवा तब मिली जब बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने गुरुवार को मुकेश सहनी के आवास पर मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद राजनीतिक गलियारों में कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं.
अशोक चौधरी ने दी सफाई, कहा- 'मुकेश सहनी हमारे मित्र हैं'
आपको बता दें कि शुक्रवार को अशोक चौधरी ने इस मुलाकात पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इसमें कोई अनहोनी बात नहीं है. उन्होंने कहा, ''मुकेश सहनी हमारे मित्र हैं, इसमें गलत क्या है? हम मंत्रिमंडल में साथ रहे हैं और जब वो आरजेडी से नाराज़ थे, तो हम ही उन्हें नीतीश जी के पास लेकर गए थे. इसमें नई बात कुछ नहीं है.'' चौधरी की इस टिप्पणी से यह स्पष्ट है कि सहनी का नीतीश कुमार के प्रति जुड़ाव पुराना है, जिससे मौजूदा चर्चाओं को और बल मिल रहा है.
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''नीतीश कुमार के बड़े प्रशंसक हैं मुकेश सहनी''
वहीं अशोक चौधरी ने आगे कहा कि मुकेश सहनी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बहुत बड़े प्रशंसक हैं. उन्होंने कहा, ''मुकेश सहनी मानते हैं कि नीतीश कुमार ने पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग के लिए जितना काम किया है, उतना किसी ने नहीं किया.'' उन्होंने कहा कि सहनी हमेशा से यह कहते रहे हैं कि अति पिछड़ों को राजनीतिक रूप से जागरूक करने में नीतीश कुमार का योगदान अतुलनीय है. चौधरी के इस बयान से यह संकेत मिलता है कि सहनी का समर्थन नीतीश कुमार के प्रति अब भी बरकरार है.
अनंत सिंह पर भी बयान, आरजेडी पर साधा निशाना
इसके अलावा आपको बता दें कि अशोक चौधरी ने बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह की रिहाई पर भी टिप्पणी की. उन्होंने आरजेडी पर निशाना साधते हुए कहा, ''अनंत सिंह हमारे नहीं थे. जब वह नाराज़ हुए तो आपने उन्हें टिकट दे दिया. उस समय आपको लगा कि एक सीट जीतना तय है, इसलिए लोकसभा में भी उन्हें टिकट दे दिया. लेकिन, जब उन्होंने आरजेडी छोड़ दिया, तब क्या हुआ?'' उन्होंने कहा कि जो लोग संकट के समय साथ खड़े रहते हैं, हम भी उनके साथ खड़े रहते हैं. चौधरी ने अनंत सिंह की पत्नी की तारीफ करते हुए कहा कि जब राजनीतिक संकट आया, तो उन्होंने हमारा साथ दिया.
बहरहाल, बिहार की राजनीति में वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी को लेकर अटकलें जारी हैं. हालांकि, अशोक चौधरी ने साफ किया है कि उनकी मुलाकात कोई नई या अप्रत्याशित घटना नहीं है. लेकिन राजनीतिक समीकरणों में बदलाव की संभावनाएं पूरी तरह से खारिज भी नहीं की जा सकतीं.