Bihar Politics News: बिहार में शराबबंदी को लेकर सियासी माहौल एक बार फिर गर्म हो गया है. केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने शुक्रवार को शराबबंदी को लेकर बड़ा बयान दिया, जिससे राजनीतिक हलचल तेज हो गई. मांझी लंबे समय से शराबबंदी पर सवाल उठाते रहे हैं और इस बार उन्होंने फिर से इस कानून की समीक्षा की मांग की है. उनका कहना है कि शराबबंदी का मौजूदा स्वरूप गरीबों के खिलाफ है और इसमें सुधार की आवश्यकता है.
'रात में पीते हैं शराब, फिर भी नहीं पकड़े जाते'
आपको बता दें कि जीतन राम मांझी ने अपने बयान में कहा कि ''हम सभी जब रात में शराब पीते हैं, तो भी हमें नहीं पकड़ा जाता. यह दोहरी नीति है और ऐसा नहीं होना चाहिए.'' उनके इस बयान ने शराबबंदी कानून के लागू होने के तरीके पर सवाल खड़े कर दिए हैं. उनका कहना है कि गरीब तबके के लोगों को इस कानून का सबसे ज्यादा खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. मांझी ने यह भी खुलासा किया कि अब तक करीब 4 से 5 लाख गरीब लोग शराबबंदी कानून के तहत जेल जा चुके हैं, जिनमें ज्यादातर गरीब और वंचित वर्ग के लोग शामिल हैं.
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शराबबंदी कानून की समीक्षा की जरूरत
वहीं आपको बता दें कि जीतन राम मांझी ने इस बात पर जोर दिया कि शराबबंदी कानून की समीक्षा की जानी चाहिए. उन्होंने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस मुद्दे पर पहले भी आग्रह किया था, जिसके बाद समीक्षा हुई थी. लेकिन अब फिर से समीक्षा की आवश्यकता है. मांझी ने कहा, ''हम शराबबंदी के समर्थक हैं, लेकिन इस कानून का मौजूदा लागू होने का तरीका गलत है.'' उनका मानना है कि शराबबंदी कानून में नीतिगत खामियां हैं, जिससे गरीब और असहाय लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं.
'शराबबंदी कानून गलत नहीं पर इसके क्रियान्वयन में अनियमितताएं'
साथ ही आपको बता दें कि केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट किया कि वह शराबबंदी कानून के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि इसके क्रियान्वयन में जो अनियमितताएं हैं, वे उसके खिलाफ हैं. उन्होंने कहा, ''हमने शराबबंदी कानून मिलकर बनाया है और इसे बुरा नहीं कह सकते. लेकिन इसके कामकाज में गंभीर खामियां हैं. गरीब लोग यदि थोड़ी सी भी शराब पीते हैं, तो उन्हें जेल भेज दिया जाता है, जबकि बड़े पैमाने पर शराब की तस्करी करने वाले बच निकलते हैं.''
नीतीश कुमार को दी समीक्षा की सलाह
इसके अलावा आपको बता दें कि जीतन राम मांझी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक यथार्थवादी व्यक्ति हैं और उन्होंने शराबबंदी कानून की समीक्षा पहले भी की है. उन्होंने नीतीश कुमार से चौथी बार समीक्षा करने का आग्रह किया, क्योंकि अब तक करीब साढ़े चार लाख गरीब लोग इस कानून के तहत जेल में बंद हैं. उनका मानना है कि इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए ताकि गरीबों को अनावश्यक परेशानियों से बचाया जा सके.