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Bihar Politics: धर्म और राजनीति, देवघर में लालू-राबड़ी ने बाबा बैद्यनाथ मंदिर में की पूजा

कहते हैं कि धर्म और राजनीति एक दूसरे की पूरक हैं. और जब बात भारत के सियासत की करते हैं तो इसका उदाहरण एक या दो नहीं बल्कि बार-बार दिखता है.

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Vineeta Kumari
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देवघर में लालू-राबड़ी ने बाबा बैद्यनाथ मंदिर में की पूजा( Photo Credit : फाइल फोटो)

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कहते हैं कि धर्म और राजनीति एक दूसरे की पूरक हैं. और जब बात भारत के सियासत की करते हैं तो इसका उदाहरण एक या दो नहीं बल्कि बार-बार दिखता है. राजनीति और धर्म का ये रिश्ता हर राज्य, हर पार्टी और हर संगठन में देखने को मिल जाता है. कुछ धर्म की आड़ में सियासत चमकाते हैं, तो कुछ धर्म पर कटाक्ष कर वोटबैंक साधते हैं. फिलहाल, इसपर चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि RJD सुप्रीमों इन दिनों भक्ती रस में रमे नजर आ रहे हैं. देवघर में बाबा के दरबार में मत्था टेकना हो या मुंबई में सिद्धि वियानक मंदिर में पूजा-अर्चना करना. 

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तारीखों पर नजर डालें तो
22 अगस्त को लालू यादव गोपालगंज के थावे मंदिर में पूजा करने गए.
31 अगस्त को सिद्धिविनायक मंदिर में पूजा की
4 सितंबर को हरिहर नाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की
6 सितंबर को बांके बिहारी मंदिर में पूजा की
11 सितंबर को बाबा बैद्यनाथ धाम में पूजा-अर्चना की
और 11 सितंबरको ही बासुकीनाथ मंदिर में पूजा की

यानी एक के बाद एक लालू यादव मंदिरों में हाजिरी लगा रहे हैं. भगवान के सामने मत्था टेक रहे हैं. ये सब तब हो रहा है जब उनकी पार्टी और गठबंधन के घटक दलों के नेता लगातार सनातन और समाज विशेष को लेकर ना सिर्फ आपत्तिजनक बयान दे रहे हैं. बल्कि दूसरे के ऐसे बयान का समर्थन भी कर रहे हैं. इसका पहला उदाहरण तो उदयनिधि स्टालिन के बयान पर RJD का समर्थन देना है. सनातन की बीमारी से तुलना करने वाले बयान का जहां RJD ने समर्थन किया. तो दूसरे गठबंधन घटक दल के किसी नेता ने मुखर होकर इसकी निंदा भी नहीं की. 

वहीं, RJD कोटे के मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेकर ने रामचरित पर विवादित बयान के बाद पैगम्बर मोहम्मद को मर्यादा पुरुषोत्तम की संज्ञा दे दी. उनका ये बयान भी जन्माष्टमी के मौके पर सामने आया और RJD के ही प्रदेश अध्यक्ष ने हाल ही में ये कहा था कि टीका लगाकर घूमने वालों ने भारत को गुलाम बनाया. अब सवाल उठता है कि एक तरफ तो RJD सुप्रीमो खुद मंदिर मंदिर जाकर दर्शन कर रहे हैं. पूजा-आरती कर रहे हैं और कहीं ना कहीं इसके जरिए हिंदू वोट को भी साधने की कवायद कर रहे हैं, लेकिन दूसरी ओर उनकी ही पार्टी के नेता और मंत्री सनातन धर्म को लेकर इस तरह का बयान दे रहे हैं. तो क्या इसे ये कह सकते हैं कि 2024 चुनाव से पहले लालू यादव राजनीतिक संतुलन बना रहे हैं. ताकि हिंदू और मुस्लिम मतदाता दोनों ही उनके पाले में रहे.

HIGHLIGHTS

  • देवघर पहुंचे लालू-राबड़ी
  • बाबा बैद्यनाथ मंदिर में की पूजा
  • बासुकीनाथ मंदिर में भी पूजा-अर्चना

Source : News State Bihar Jharkhand

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