Bihar Reservation: बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कई अहम मुद्दों पर मुहर लगी. विधानसभा में जहां अपने बयान को लेकर सीएम नीतीश कुमार लंबे समय तक विपक्ष के निशाने पर रहे तो वहीं इस सदन में आरक्षण को लेकर बड़ा फैसला लिया गया. राज्य सरकार ने प्रदेश में आरक्षण 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी कर दिया. राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है. बता दें कि विधानमंडल के दोनों सदनों में आरक्षण विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया गया. जिसके बाद राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर के हस्ताक्षर के बाद 21 नवंबर को आरक्षण की नई व्यवस्था को तत्काल प्रभाव से लागू कर दी गई.
आरक्षण को लेकर पटना हाईकोर्ट में दायर हुई याचिका
जानकारी के अनुसार याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि ये मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. आपको बता दें कि बिहार में जातीय गणना की रिपोर्ट आने के बाद राज्य सरकार ने आरक्षण का दायर बढ़ाने का फैसला किया. जनहित याचिका गौरव कुमार व नमन श्रेष्ठ ने दायर की है और साथ ही आरक्षण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों को आगे लाने व उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए आरक्षण लाया गया था, ना कि जनसंख्या के हिसाब से आरक्षण देने का प्रावधान किया गया था. बिहार सरकार ने जो 2023 का संशोधित अधिनियम पास किया है, वह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है.
नीतीश सरकार का अहम फैसला
आपको बता दें कि बिहार सरकार ने जातीय गणना खुद ही राज्य में कराई थी. राज्य सरकार ने जातीय गणना के साथ ही आर्थिक सर्वे भी कराया था. जिसके हिसाब से ही विधानसभा में आरक्षण बिल पास किया गया.
HIGHLIGHTS
- आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर
- कहा- मौलिक अधिकारों का उल्लंघन
- नीतीश सरकार का अहम फैसला
Source : News State Bihar Jharkhand