Gopalganj News: एक तरफ बिहार की सियासत दिन-ब-दिन गर्म होती दिख रही है तो वहीं दूसरी ओर बिहार में सदर अस्पताल की हालत बद से बदतर दिख रही है. मरीज के परिजनों का आरोप है कि सदर अस्पताल के प्रसूति वार्ड में डॉक्टर नहीं बल्कि महिला नर्सें इलाज करती हैं. अब स्थिति यह है कि 12 घंटे बाद जब डॉक्टर अस्पताल पहुंचे, तब जाकर मरीज का इलाज संभव हो सका. दरअसल, आईएसओ प्रमाणित सदर अस्पताल की व्यवस्था राम भरोसे है लेकिन इसकी बानगी अक्सर प्रसूति वार्ड में देखने को मिलती है. वहीं प्रसव के लिए आने वाली महिला मरीजों को डॉक्टर की अनुपस्थिति का खामियाजा हर दिन भुगतना पड़ता है.
आपको बता दें कि इस ताजा मामले की बात करें तो बीते दिन जिले के सिधवलिया प्रखंड के बरहिमा गांव निवासी मिंटू देवी अपने परिजनों के साथ प्रसव के लिए सुबह पांच बजे सदर अस्पताल के प्रसूति वार्ड में पहुंची थीं, लेकिन डॉक्टर के नहीं रहने के कारण नर्स द्वारा उसका चेकअप किया गया. मरीज की बहन ने बताया कि, ''सुबह के पांच बजे से लेकर शाम के छह बज गये लेकिन डॉक्टर नहीं आये और सिर्फ एक नर्स ने उन्हें देखा. मरीज की हालत खराब होती जा रही थी, लेकिन डॉक्टर का कोई पता नहीं था.'' इसको लेकर उन्होंने बताया कि, ''जब मरीज का ईलाज नहीं करना था तो पहले ही बता देना चाहिए था, ताकि हम लोग प्राइवेट में मरीज को लेकर जा सके, लेकिन यहां कोई कुछ बताने वाला नहीं है. मजबूरन उन्हें अपने मरीज को एक निजी क्लिनिक में ले जाना पड़ा. बाद में जब डॉक्टर आए तो उन्हें बुलाया गया, जिसके बाद वे दोबारा यहां पहुंचे और इलाज शुरू हुआ.''
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इस संबंध में सदर अस्पताल के डीएस शशि रंजन ने बताया कि, ''ऑन ड्यूटी डॉक्टर की तबीयत अचानक खराब हो गयी थी, इसलिए वह अपनी ड्यूटी पर नहीं पहुंच सकीं. हालांकि डॉक्टर कुंदन को भेजा गया जिन्होंने सिजेरियन डिलीवरी की थी.'' वहीं आगे उन्होंने बताया कि, ''हमने सिविल सर्जन को पत्र लिखा है. हमारे यहां तीन महिला डॉक्टर हैं, दो नियमित हैं और एक प्रतिनियुक्ति पर है. उन्हें रात में ऑन कॉल बुलाया जाता है. इसके अलावा सर्जन से भी काम लिया जा रहा है.'' साथ ही उन्होंने कहा कि, ''महिला डॉक्टर की बहाली के लिए भी सरकार को पत्र लिखा गया है.''
साथ ही दो नवजात बच्चों की मौत के मामले में उन्होंने कहा कि, ''डॉक्टर की लापरवाही से किसी बच्चे की मौत नहीं हुई है, बल्कि पेट में ही बच्चे की मौत हो चुकी थी. अल्ट्रासाउंड के बाद यह देखा गया था, जिसे सिजीरियन कर निकाला गया था. दूसरे बच्चे के परिजनों को सिजेरियन के लिए बोला गया था, लेकिन परिजन नॉर्मल डिलीवरी कराना चाहते थे, जिसके बाद बच्चे ने गंदा पानी पी लिया. इस के बाद प्रसव हुआ. वहीं बच्चे की स्थिति खराब होने के कारण उसे रेफर किया गया, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई, जिसमे डॉक्टर की कोई लापरवाही नहीं है.'' हालांकि, आगे उन्होंने ये भी कहा कि, ''एक और वीडियो की जानकारी मिली है, जिसमें कुछ नर्सें ड्यूटी के दौरान कंप्यूटर पर फिल्म देख रही थीं, जिसकी जांच की जाएगी और उनका वेतन रोका जाएगा.''
HIGHLIGHTS
- तेजस्वी यादव के गृह जिले में सदर अस्पताल का बुरा हाल
- डॉक्टर के बदले नर्स करती है मरीज का इलाज
- डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर उठ रहे सवाल
Source : News State Bihar Jharkhand