बिहार विधान परिषद में आरजेडी नेता सुनील कुमार सिंह की सदस्यता रद्द कर दी गई है. उन पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नकल करने का आरोप था. इस मामले में विधान परिषद में एक प्रस्ताव पेश किया गया,जो ध्वनिमत से पारित हो गया. यह एक साल के अंदर दूसरा मामला है जब किसी आरजेडी नेता की सदस्यता समाप्त की गई है. इससे पहले रामबली सिंह की सदस्यता भी समाप्त की गई थी. आइए जानते हैं कि किसी विधायक की सदस्यता किन-किन परिस्थितियों में रद्द की जा सकती है.
सुनील कुमार सिंह का मामला
सुनील कुमार सिंह का मामला इस साल के बजट सत्र का है. आरजेडी नेता पर राज्यपाल के अभिभाषण पर बहस के दौरान नीतीश कुमार के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप था. इस मामले की जांच के लिए एक आचार समिति बनाई गई, जिसने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट सभापति को सौंपी. समिति ने सुनील कुमार सिंह पर लगे आरोपों को सही पाया और अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की.
विधायक की सदस्यता किन कारणों से रद्द हो सकती है?
- यदि कोई विधायक राज्य या केंद्र सरकार में किसी लाभ के पद पर है, तो उसे अयोग्य घोषित किया जा सकता है. लाभ के पद में वे सभी पद आते हैं जहां वेतन, भत्ते या अन्य सरकारी लाभ मिलते हैं.
- अगर कोई विधायक अदालत द्वारा मानसिक रूप से अस्वस्थ घोषित कर दिया जाए, तो उसकी सदस्यता खत्म हो सकती है.
- अगर कोई विधायक दिवालिया घोषित हो जाता है, तो उसकी सदस्यता रद्द की जा सकती है.
- अगर पता चलता है कि विधायक भारत का नागरिक नहीं है या किसी अन्य देश का नागरिक बन गया है, तो उसकी सदस्यता रद्द हो जाएगी.
- संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून के तहत अयोग्य घोषित होने पर भी सदस्यता समाप्त हो सकती है.
- अनुच्छेद 191(2) के तहत 10वीं अनुसूची के तहत विधायक की सदस्यता भी समाप्त की जा सकती है.संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत, अगर कोई विधायक अपनी पार्टी छोड़ता है, तो उसकी सदस्यता रद्द हो जाएगी.
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में प्रावधान है कि यदि कोई विधायक धारा 8(1) में शामिल अपराधों में दोषी पाया जाता है तो उसकी सदस्यता समाप्त की जा सकती है. इनमें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसीए) 1988, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज या भारत के संविधान का अपमान करने का अपराध, प्रतिबंधित वस्तुओं के आयात या निर्यात के अपराध शामिल हैं।
राज्यपाल का निर्णय अंतिम
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि किसी विधायक को हिरासत में लेने से वह अयोग्य नहीं होता है. सदस्य की अयोग्यता पर अंतिम निर्णय राज्यपाल का होता है.
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