देश में हर तरफ दिवाली के त्योहार को लेकर लोगों में काफी उत्साह है. बाजार सज गए हैं, अब लोग धनतेरस की तैयारियों में जुटे हुए हैं, लेकिन इस दिवाली की खास बात यह है कि बाजार में इको-फ्रेंडली सामान भारी मात्रा में उपलब्ध है जो लोगों को आकर्षित भी कर रहा है. ऐसे में लोग गाय के गोबर से बनी कई वस्तुएं खरीद रहे हैं और लोगों को भी इसे खरीदने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, ताकि वे पर्यावरण को बचाने में अपनी भूमिका निभा सकें. वहीं पर्यावरण को बचाने के लिए बिहार के एक शख्स ने गाय के गोबर से दीपक बनाया है, जिसके जलाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाएगी और वातावरण शुद्ध हो जाएगा. साथ ही प्रयोग फार्म की मछलियों के लिए भी फायदेमंद होगा. ये दिया देखने में काफी खूबसूरत और आकर्षक है.
आपको बता दें कि नए और अलग काम करने वाले सुधीर कुमार ने एक मीडिया से बात करते हुए कहा कि, ''मिट्टी का दीया तो शुद्ध होता है, लेकिन गाय के गोबर से दीया जलाने से पर्यावरण को और भी मजबूती मिलेगी. इसलिए कुछ नया करने और पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए गाय के गोबर के दीये बनाए जा रहे हैं. इस काम में सुधीर कुमार के साथ उनकी पत्नी ज्योति और उनकी बेटी स्नेहा भी उनका साथ देती हैं. वहीं सुधीर के द्वारा दीया को ढांचा में लाया जाता है और बेटी स्नेहा द्वारा कलाकृति बनाकर इसे सुंदरता दी जाती है और पत्नी ज्योति इसे घर से बेचने का काम करती हैं.
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यूट्यूब देखकर की गई ये क्रिएटिविटी
आपको बता दें कि सुधीर ने एक साल पहले ही गाय के गोबर से कई प्रोडक्ट बनाने का काम शुरू किया है. आरा के जवाहर टोला निवासी सुधीर के मन में यूट्यूब देखकर विचार आया कि क्यों न पर्यावरण संरक्षण को लेकर कुछ काम करें, ताकि पर्यावरण को भी बचाया जा सके और कुछ आमदनी भी हो सके. फिर हुआ यह कि सुधीर ने मध्य प्रदेश के संसौर और गुजरात के भुज से गाय के गोबर से अलग-अलग सामग्री बनाने की ट्रेनिंग ली और अपने जिले में इसे एक व्यवसाय के रूप में शुरू किया. वहीं पिछले एक साल में ही उन्होंने गाय के गोबर से कई ऐसे उत्पाद बनाए हैं और इसे बाजारों के साथ-साथ ऑनलाइन भी बेच रहे हैं.
गोबर के दीयों के अनेक फायदे
आपको बता दें कि सुधीर अपने गांव के दर्जनों पुरुषों और करीब 25 महिलाओं को प्रशिक्षण देकर रोजगार मुहैया करा रहे हैं. इसी को लेकर उन्होंने कहा कि, ''इस दिवाली उन्होंने जिलेवासियों के लिए गाय के गोबर से बने दीपक बनाए हैं. इससे न केवल पर्यावरण शुद्ध होगा बल्कि इसे जलाने के बाद डिकम्पोज भी किया जा सकेगा. साथ ही ये दीया पर्यावरण अनुकूल है. इससे न तो हाथ जलेंगे और न ही यह मिट्टी के दीये की तरह गिरकर टूटेगा. अगर आप इसे इस्तेमाल के बाद नदी में फेंक देते हैं तो नदी में तैरता हुआ देखकर मछलियां भी इसे अपना भोजन बना सकती हैं. इसके अलावा आप इसे खेत या गमले में भी डाल सकते हैं, जिससे इसकी उर्वरक क्षमता बढ़ जाएगी.''
लोगों को रोजगार भी देते है सुधीर
इसके साथ ही आगे सुधीर ने यह भी बताया कि, ''इस काम ने गांव की करीब 25 महिलाओं को रोजगार मिला है और उन्होंने दर्जनों पुरुषों को गाय के गोबर से सामान बनाने की ट्रेनिंग भी दी है. इस साल करीब डेढ़ लाख छोटे-बड़े दीये बनाये गये हैं, जिससे लोगों को दिए लेने में कोई परेशानी न हो.'' उन्होंने आगे बताया कि, ''छोटे दीये जहां 50 रुपये के 12 पीस हैं, वहीं बड़े दीये 40 रुपये के 4 पीस हैं.''
HIGHLIGHTS
- गाय के गोबर के दीयों से मनाएं इको-फ्रेंडली दिवाली
- दिलचस्प है इस प्रोडक्ट की कहानी
- मिट्टी और मछली को भी फायदा
Source : News State Bihar Jharkhand