बिहार में विधानसभा चुनाव अभी दूर हैं लेकिन इससे पहले ही घमासान शुरू हो चुका है. राजनीति के इस मैदान में नये खिलाड़ी प्रशांत किशोर के बाद अब आरसीपी सिंह ने भी ताल ठोक दी है. देखा जाए तो 2025 के विधानसभा चुनाव के लिए नीतीश कुमार आरसीपी सिंह के निशाने पर हैं. इधर प्रशांत जन सुराज अभियान की शुरुआत से प्रशांत किशोर तेजस्वी यादव को टारगेट करते आए हैं.
इस बार अगर आरसीपी सिंह और प्रशांत किशोर निजी तौर पर कुछ खास परफॉर्म नहीं कर पाये, तो दोनों की मेहनत बीजेपी के लिए काम आएगी और बीजेपी चूकती है तो स्वाभाविक तौर पर तेजस्वी यादव की पार्टी इसका लाभ लेजाएगी.
वोटकटवा है आरसीपी सिंह की भूमिका
बिहार में प्रशांत किशोर की वजह से त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा. वहीं दूसरी ओर आरसीपी सिंह की भूमिका वोटकटवा से ज्यादा नहीं रहने वाली है. ऐसे में अब देखना है 2020 के चिराग पासवान के मुकाबले 2025 में आरसीपी सिंह नीतीश कुमार के लिए कितना खतरनाक साबित हो सकते हैं?
दरअसल, नीतीश कुमार आरसीपी सिंह के निशाने पर हैं, क्योंकि नीतीश कुमार ने बड़ा दिल दिखाने की जगह उनको दोबारा राज्यसभा न भेजकर बदला तो पहले ही ले लिया था - अब तो नीतीश कुमार केंद्र की सरकार में भी मजबूत दखल रखते हैं.
आरसीपी सिंह की भी बनेगी राजनीतिक पार्टी
राजनीति में संबंधों के टूटने की खबरें बहुत कम सुनाई देती हैं. नेताओं के बीच दुराव या मनमुटाव जनता में महसूस किया जाता है. वो उनके सार्वजनिक बयानों और एक्टिविटी से बनी धारणा से प्रभावित जरूर रहता है, लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल उलट देखने को मिलती है.
यूं तो आरसीपी सिंह का कहना है कि नीतीश कुमार से अब भी उनके संबंध अच्छे हैं, वैसी ही बातें नीतीश कुमार के मुंह से भी सुनने को मिली थीं. जब प्रशांत किशोर और पवन कुमार वर्मा एक दिन अचानक मुलाकात के लिए मुख्यमंत्री आवास पहुंच गये थे.
आरसीपी अपना राजनीतिक फोरम खड़ा करने को लेकर कहते हैं, चूंकि मेरी अपनी राजनीतिक ताकत है, इसलिए जेडीयू में वापस लौटने की कोई जरूरत नहीं है... मेरे नीतीश कुमार के साथ आज भी अच्छे संबंध हैं, लेकिन हमारे बीच दोबारा मेलजोल की कोई कोशिश नहीं हुई है.