Waqf Board Amendment Bill: गुरुवार, 8 अगस्त को लोकसभा में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा वक्फ कानून में संशोधन करने वाला बिल पेश किया गया. इस दौरान सदन में काफी हंगामा हुआ और विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपने-अपने रुख को स्पष्ट किया. इस बिल को लेकर न केवल विपक्ष, बल्कि एनडीए के सहयोगी दलों के बीच भी मतभेद देखने को मिले.
एलजेपी का रुख, कमेटी को भेजे जाने के पक्ष में
आपको बता दें कि एलजेपी (चिराग गुट) के उच्च सूत्रों के अनुसार, पार्टी फिलहाल इस बिल को सिलेक्ट या स्टैंडिंग कमेटी में भेजे जाने के पक्ष में है. उनका मानना है कि इस बिल पर और अधिक विचार-विमर्श की आवश्यकता है. एलजेपी का कहना है कि अगर सरकार इसे सीधे पास करवाने की कोशिश करती है, तो वे अपने रुख पर पुनर्विचार करेंगे। इससे यह स्पष्ट होता है कि पार्टी के भीतर इस बिल को लेकर कुछ हद तक दुविधा बनी हुई है. एलजेपी का मानना है कि बिल में कुछ मुद्दे सही हो सकते हैं, लेकिन इसके बावजूद मुस्लिम समुदाय की आशंकाओं को दूर करना आवश्यक है. इसलिए, बिल को कमेटी में भेजकर उसमें आवश्यक संशोधन किए जाने चाहिए.
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आरजेडी और जेडीयू का टकराव
वहीं विपक्ष ने इस बिल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. आरजेडी सांसद मीसा भारती ने इस बिल को लेकर सरकार की कथनी और करनी में अंतर होने की बात कही. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि उनकी पार्टी इस बिल का विरोध करेगी. मीसा भारती ने यह भी सवाल उठाया कि सरकार जो कह रही है, क्या वह बिल में शामिल है या नहीं? उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब बिल सदन में आएगा, तभी इस पर विस्तृत चर्चा की जा सकेगी.
दूसरी ओर, जेडीयू के सांसद और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने इस बिल का समर्थन करते हुए विपक्ष को फटकार लगाई. उन्होंने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इस बिल के विरोध का कोई ठोस आधार नहीं है और इसे अनावश्यक रूप से राजनीतिक रंग दिया जा रहा है.
संसद में बिल पेश होने पर हुई तीखी नोकझोंक
इसके अलावा आपको बता दें कि बिल पेश होने के बाद संसद में जमकर हंगामा हुआ. विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया कि यह बिल मुस्लिम समुदाय के हितों को चोट पहुंचा सकता है. इसके विपरीत, सरकार का दावा है कि यह बिल वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए लाया गया है.
वहीं विपक्ष की आपत्तियों के बीच, सरकार ने अपने रुख को स्पष्ट किया कि यह बिल देश के हित में है और इसमें किसी भी समुदाय के खिलाफ कोई दुर्भावना नहीं है. हालांकि, विपक्ष ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसे कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए ताकि इसमें आवश्यक संशोधन किए जा सकें.