जेडीयू नेता और बिहार सरकार (Bihar Government) में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान (Jama Khan ) ने शुक्रवार को एक चौंकाने वाला बयान दिया है. धर्म परिवर्तन मामले पर पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए नीतीश सरकार के मंत्री ने यह कहकर सबको चौंका दिया कि उनके पूर्वज राजपूत थे, लेकिन बाद में उनके पूर्वजों ने इस्लाम धर्म कुबूल कर लिया था, इसलिए वह मुस्लिम हो गए. उन्होंने दावा किया कि उनके पूर्वज का राजपूत वंशज आज भी मौजूद में है, जिनसे उनका अभी भी पारिवारिक रिश्ता कायम है.
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हाजीपुर के सदर अनुमंडल अंतर्गत अंजानपीर चौक पहुंचे अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान ने यह बात तब कही जब उनसे धर्म परिवर्तन को लेकर सवाल पूछा गया. उन्होंने कहा कि उनके पूर्वज पहले राजपूत थे, लेकिन बाद में उनके पूर्वजों ने अपनी स्वेच्छा से इस्लाम धर्म कबूल कर लिया था. इसके चलते उनका परिवार अब मुस्लिम धर्म को मानता है. उन्होंने अपने हिंदू और राजपूत होने का प्रमाण देते हुए अपने पूर्वजों का हिंदू नाम भी बताया.
NIA कर सकती है धर्मांतरण केस की जांच, 8 राज्यों में फैले तार की सौंपी रिपोर्ट
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के धर्मांतरण केस की परतें खुलने के साथ ही इसका दायरा भी बड़ा होता जा रहा है. संभवतः यही वजह है कि अब इस संवेदनशील मसले की जांच अब नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) के हाथों पहुंचने की भी संभावना बढ़ गई है. 8 राज्यों में फैले धर्मांतरण केस की जांच यूपी एटीएस एनआईए को सौंप सकती है. जांच एजेंसी ने यूपी एटीएस से धर्मांतरण केस की पूरी रिपोर्ट मांगी है. बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी की दो यूनिट पूरे मामले की पड़ताल के लिए लगाई जा सकती हैं. इस क्रम में अब धर्मांतरण केस की जांच एनआईए की दिल्ली और यूपी यूनिट करेगी. केस को सौंपने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. इसके लिए कागजी कार्यवाही शुरू कर दी गई है. अब यूपी एटीएस की जगह एनआईए पूरे मामले की पड़ताल शुरू कर सकती है.
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8 राज्यों तक फैला है जांच का दायरा
गौरतलब है कि धर्मांतरण केस में इससे पहले यूपी एंटी टेरर स्क्वॉड टीम, इस्लामिक दावा सेंटर से मिले दस्तावेजों के आधार पर 7 राज्यों में जांच करने वाली थी, लेकिन अब मणिपुर, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, केरल, झारखंड, मध्य प्रदेश और बिहार में अब एनआईए की टीम जांच शुरू कर सकती है. धर्मांतरण केस से जुड़ी सभी घटनाओं की पड़ताल जांच संस्था करेगी. इस्लामिक दावा सेंटर में जांच के दौरान यह सामने आया है कि मुफ्ती काजी जहांगीर ने 7 जनवरी से 2020 से लेकर 12 मई 2021 तक 33 लोगों का धर्मांतरण कराया है. इस केस में दो आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद से ही जांच जारी है. मुफ्ती जहांगीर कासमी और मोहम्मद उमर गौतम, दोनों पर आरोप है कि इन्होंने बड़ी संख्या में लोगों का धर्मांतरण कराया है.