बिहार के सरकारी स्कूलों की हालत क्या है. इसकी बानगी को दर्शाती एक तस्वीर सामने आई है. भले ही शिक्षा विभाग स्कूलों की हालत बेहतर होने के कितने ही दावें क्यों ना करें, लेकिन ये तस्वीर तमाम दावों की पोल खोल देगी. यह तस्वीर सुपौल जिले के त्रिवेशीगंज स्थित मेढ़िया का है. प्राथमिक विद्यालय अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है, जहां स्कूल में सिर्फ दो कमरे ही है. इसमें से भी एक कमरा रसोई के तौर पर उपयोग में लिया जा रहा है. वहीं, दूसरे कमरें में कक्षा पहली से पांचवी तक की पढ़ाई कराई जाती है, लेकिन आप ये सुनकर हैरान हो जाएंगे कि इस एक कमरे में 159 बच्चे पढ़ाई करते हैं.
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एक कमरे का स्कूल में पढ़ते हैं 159 बच्चे
हालांकि यह एक कमरा भी सुरक्षित नहीं है. कमरे की हालत जर्जर हो चुकी है. कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. इस विद्यालय की स्थापना 1952 में की गई थी. अब इस एक कमरे के स्कूल में 159 बच्चे पढ़ते हैं और 8 शिक्षक इन बच्चों को पढ़ाते हैं. स्कूल का मतलब होता है, जहां बच्चे पढ़कर अपना भविष्य संवारते हैं, लेकिन स्थापना के 71 वर्ष वाद भी स्कूल का कायाकल्प नहीं हो सका है. स्कूल के भवन जर्ज़र हो चुके हैं औरर छत की वजह से बच्चे डर के साये में पढ़ाई करते हैं.
8 शिक्षक इन बच्चों को पढ़ाते हैं
हर वक्ता खतरा मंडराता रहता है कि कभी छत का कोई हिस्सा टूट कर बच्चों पर ना गिर पड़े. शिक्षक भी छत में आ रही दरार से दूर ही अपनी कुर्सी लगाते हैं. विद्यालय प्रधान लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता बताते हैं कि इस विद्यालय में कुल 82 छात्र-छात्राएं नामांकित है. बीते दिनों एक विभागीय आदेश के आलोक में नवसृजित विद्यालय वार्ड 7 को भी किसी विद्यालय में समायोजित कर दिया गया. जिसमें 77 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं. इस तरह से 5 वर्गों के कुल 159 बच्चे एक जर्जर कमरे में पढ़ाई करते हैं.
ऐसे कैसे पढ़ेंगे बच्चे 'साहब'?
समस्या यह है कि विद्यालय टेढ़ा नदी के किनारे अवस्थित है, जो विद्यालय की आधी जमीन निकल चुका है. नदी के बहाव की वजह से कटाव अभी भी जारी है. जिसकी वजह से बाकी बची जमीन और भवन भी खतरे में है. वही विद्यालय से सटे नदी की वजह से यहां पढ़ने के लिए आने वाले बच्चों के डूबने की आशंका भी बनी रहती है. इधर विद्यालय के शिक्षक बताते हैं कि परिसर में स्थित एकमात्र शौचालय भी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है, जिसकी वजह से शौच में भी परेशानी होती है. जबकि छत का मलबा गिरने की वजह से अब कई बच्चे चोटिल भी हो चुके हैं. बरसात के दिनों में छत से पानी का रिसाव बच्चों की पढ़ाई में बाधक बनता है. हालांकि विद्यालय प्रधान ने इस बाबत कई बार विभागीय अधिकारियों से पत्राचार किया है. वहीं, ग्रामीणों को अब भी उम्मीद है कि स्कूल की हालत जल्द ही सुधरेगी. स्कूल में नए कमरों का निर्माण भी होगा.
HIGHLIGHTS
- एक कमरे का स्कूल में पढ़ते हैं 159 बच्चे
- 8 शिक्षक पढ़ाते हैं बच्चों को
- ऐसे कैसे पढ़ेंगे बच्चे 'साहब'?
Source : News State Bihar Jharkhand