बिहार में राजनीति की नई परिभाषा गढ़ने वाले आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव आज अपना 76 वां जन्मदिन मना रहे हैं. दो बार सूबे की मुख्यमंत्री पद को सुशोभित करने वाला ये राजनीति सम्राट गोपालगंज के फुलवरिया से दिल्ली तक सफर तय किया है. उन्होंने अपनी अलग छवि बनाते हुए देश और दुनिया में एक अलग पहचान बनाए हैं. आज उनके जन्मदिन पर जानते हैं कि कैसे उन्होंने गोपालगंज के एक गांव से रायसीना तक सफर तय किया.
आपातकाल से राजनीति की शुरूआत
आपातकाल के दौरान लोकनायक जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति से लालू यादव ने राजनीतिक हुंकार भरी. उस आंदोलन के दौरान एक सभा में उन्होंने पुलिस की लाठी से लोकनायक को बचाते हुए, खुद लाठी खाया था. इस दौरान उनको बहुत चोट भी लगी थी. लेकिन इस आंदोलन से बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव बड़े नेता बनकर उभरे.
1977 में पहुंचे लोकसभा
छात्र राजनीति के बाद 1977 में लालू यादव 29 साल के उम्र में लोकसभा का चुनाव जीतने के बाद राष्ट्रीय राजनीति में अपना कदम रखा. 1980 में जनता पार्टी से अलग होकर वीपी सिंह की अगुआई वाले जनता दल परिवार नाता जोड़े. आगे 1990 में सूबे के मुख्यमंत्री पद पर काबिज हुए. और फिर सात साल तक प्रदेश की सता में मुख्यमंत्री पद पर बने रहे.
जनता दल से बनाई अलग पार्टी
साल 1997 में चारा घोटाले में घिरने के बाद लालू यादव ने जनता दल से रिश्ता तोड़ते हुए राष्ट्रीय जनता दल नाम से नया पार्टी बनाई. और राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाया. साल 2004 में आमचुनाव में राजग के हार के बाद केंद्र में यूपीए सरकार में रेलमंत्री बने लालू यादव और रेल को भारी मुनाफा प्रदान करने सफल रहें.
बिहार की राजनीति की धूरी हैं लालू यादव
चारा घोटाले हो या फिर बहुत सारे ऐसा आरोप भी उन लगा जिससे कई बार उनके विरोधियों ने माना कि लालू यादव अब ढलान पर हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हमेशा वह अपनी विरोधियों पर भारी पड़े हैं लालू यादव और किंगमेकर बनकर उभरे हैं.
स्क्रिप्ट-पिन्टू कुमार झा
HIGHLIGHTS
- लालू प्रसाद यादव आज मना रहे हैं अपना 76वां जन्मदिन
- आपातकाल से राजनीति की शुरूआत
- लालू प्रसाद यादव 1977 में पहुंचे लोकसभा
- जनता दल से बनाई अलग पार्टी
- बिहार की राजनीति की धूरी हैं लालू यादव
Source : News State Bihar Jharkhand