बिहार में लॉकडाउन के दौरान मंत्रियों और विधयाकों के घूमने पर सरकार द्वारा अंकुश लगाया जाना सरकार में शामिल भारतीय जनता पार्टी के लोगों को रास नहीं आ रहा है. भाजपा के नेता इस मसले पर खुलकर तो कुछ नहीं बोल रहे हैं, लेकिन नाखुशी जरूर जाहिर कर रहे हैं. बिहार सरकार ने 23 मई को पत्र जारी कर सभी मंत्रियों के घूमने पर रोक लगा दी है. कैबिनेट सचिवालय ने अपने पत्र में कहा कि ऐसी जानकारी मिल रही है कि मंत्री अपने विधानसभा क्षेत्र या प्रभार वाले जिलों में घूम रहे हैं. उनके क्षेत्र में जाने से लॉकडाउन का उल्लंघन हो रहा है. ऐसे में मंत्री बाहर नहीं निकलें. अगर जरूरत हो तो वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से निरीक्षण या मीटिंग करें. इस निर्देश के बाद भाजपा के लोग नाराज बताए जा रहे हैं.
भाजपा सूत्रों के मुताबिक बुधवार को मंत्रियों और मंगलवार को पार्टी के सभी विधायक और विधान पार्षदों और सांसदों की वर्चुअल बैठक में भी इस निर्देश को लेकर नाराजगी देखने को मिली. इन बैठकों में मोदी सरकार के सात साल पर आयोजित कार्यक्रम पर चर्चा की जानी थी, लेकिन उस बैठक में सबसे पहले अपनी ही सरकार की खासकर इस निर्देश को लेकर जमकर नाराजगी व्यक्त की गई. सूत्रों का कहना है कि बैठक में कई विधायकों और सांसदों ने इस पर कडी आपत्ति जताई और कहा कि बिहार की सरकार लोकतंत्र का गला घोंट रही है. सरकार का यह निर्णय तानाशाही वाला है. विधायकों ने कहा कि इस निर्देश के पहले भाजपा के उपमुख्यमंत्रियों से राय ली गई थी.
भाजपा के एक विधायक नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर कहते हैं कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल जहां अपने क्षेत्रों में लगातार इस कोरोना काल में लोगों की मदद पहुंचाने तथा लोगों को हर सुविधा पहुंचाने में जुटे हैं, वहीं मंत्री सम्राट चौधरी अपने प्रभार वाले जिलों में लोगों से मिलकर उन्हें राहत पहुंचाने जुटे थे. इधर, उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कटिहार में सामुदायिक रसोई में जाकर खाना का स्वाद चखा था तथा वहां का निरीक्षण किया था. इसके बाद सरकार द्वारा यह निर्देश भाजपा के विधायकों और मंत्रियों के गले के नीचे उतर नहीं रही है.
वैसे, नाराजगी को लेकर भाजपा ज्यादा तूल देने के मूड में भी नहीं है. भाजपा प्रदेश नेतृत्व ने विधायकों के सवाल को जायज ठहराया है, लेकिन इस मामले को तूल देने के पक्ष में भी नहीं है. भाजपा के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि केवल कुछ दिनों की बात है, मामले को बढाने की जरूरत नहीं है. उल्लेखनीय है कि राज्य में कोरोना संक्रमण की तेज गति को रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया गया है. राज्य में पहले पांच मई से 15 मई और फिर इसे विस्तारित करते हुए 16 मई 25 मई और फिर 26 मई से इसे बढा कर एक जून तक कर दिया गया है. लॉकडाउन के दौरान मरीजों में भी काफी कमी आई है.
HIGHLIGHTS
- मंत्रियों के घूमने की पाबंदी रास नहीं आ रही बीजेपी नेताओं को
- खुलकर तो नहीं, लेकिन मौके-बेमौके जाहिर कर रहे हैं असंतोष
- कोरोना से राहत में आ रही रुकावट को बना रहे हैं आधार