कोसी उफान पर है. नदी का रौद्र रूप लोगों को डराने लगा है. गांव उजड़ने लगे हैं. आशियाने टूट चुके हैं. नदी का जलस्तर और कटाव की रफ्तार दोनों में ही डराने वाली बढ़ोतरी हो रही है. तटबंध के इलाके नदी में समाने लगे हैं. अब तक 150 से ज्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं. दरअसल, नेपाल में मुसलाधार बारिश हो रही है. इसकी वजह से नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. कोसी बराज से 1 लाख 4 हजार 220 क्यूसेक पानी छोड़ा गया. जिसका असर अब तटबंध वाले इलाकों में दिखने लगा है.
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लहरें हाहाकारी, कटाव लगातार जारी
कोसी का कहर सुपौल के सदर प्रखंड के बलवा पंचायत पर बरस रहा है. यहां वार्ड 11 और 12 में ही डेढ़ सौ से ज्यादा घर नदी की चपेट में आ चुके हैं. घर नदी में विलीन होने के बाद परिवारों का विस्थापन हो रहा है और लोग ऊंचे स्थानों पर जगह तलाश रहे हैं. इस बीच सोमवार को ही न्यूज़ स्टेट पर खबर दिखाए जाने के बाद प्रशासन हरकत में आया और 48 परिवारों को सहायता मुहैया कराने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई, लेकिन अब बाढ़ पीड़ितों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है. पीड़ित परिवार की समस्या सिर्फ नया ठिकाना ढूंढना नहीं है, बल्कि अब वो खाने-पीने की समस्या से भी दो-चार हो रहे हैं.
घरों ने ली जलसमाधि, नए ठिकाने की तलाश
हर बार की तरह इस बार भी बिहार में कोसी तबाही मचाने की तैयारी में है. नदी अपने पूरे शबाब पर है और एक के बाद एक आशियानों को निगलना शुरू कर दिया है. नतीजा नदी के आस-पास कटाव जोरों पर है. कटाव वाले इलाके में बसी आबादी के पास पलायन के अलावा कोई चारा नहीं है. इस बीच न्यूज़ स्टेट ने जब पलाटन कर रहे लोगों की समस्या को दिखाने वाली ख़बर दिखाई तो लोगों तक मदद पहुंचना शुरू हुआ और स्थानीय मुखिया अंबिका कुमारी ने भी पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर उनका हाल जाना. उन्होंने प्रशासन से जल्द सरकारी सहायता मुहैया कराने की मांग की है.
सरकार से मदद की आस
वहीं, डीएम कौशल कुमार की मानें तो फिलहाल जिले में कहीं भी बाढ़ की समस्या नहीं है. लेकिन कोसी नदी के जलस्तर में उतार-चढ़ाव की वजह से कटाव हो रहा है. ऐसे में कटाव से पीड़ित पीड़ितों को सरकारी सहायता उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं. डीएम ने साथ ही आश्वासन दिया कि अगर जिले में बाढ़ आती है, तो जिला प्रशासन इसके लिए तैयार है. बाढ़ के खतरे को देखते हुए जिला प्रशासन राहत शिविर और कम्युनिटी किचन जैसी सुविधाओं को बहाल करने की तैयारी में है, लेकिन बाढ़ से पहले कटावग्रस्त परिवारों की सुध लेने की जरूरत है. ताकि जिनके घर नदी में समा चुके हैं. उन्हें कोई आसरा मिल सके.
HIGHLIGHTS
- लहरें हाहाकारी, कटाव लगातार जारी
- घरों ने ली जलसमाधि, नए ठिकाने की तलाश
- जलमग्न हुए गांव, सरकार से मदद की आस
Source : News State Bihar Jharkhand