15 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे. इस पूरी घटना के बाद से ही पूरे देश में बॉयकॉट चाइना की मुहिम छिड़ गई. इसी क्रम में अब केंद्र सरकार ने गंगा नदी पर बने महात्मा गांधी सेतु के समानांतर बनाए जाने वाले महासेतु की परियोजना से जुड़े टेंडर को रद्द कर दिया है. इस परियोजना में चीनी कंपनियां शामिल थीं. बिहार सरकार के शीर्ष आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को कहा कि केंद्र ने टेंडर को रद्द कर दिया क्योंकि परियोजना के लिए चुने गए चार में से दो ठेकेदार चीनी कंपनियां थीं.
पूरी परियोजना पर 2,900 करोड़ रुपये का पूंजीगत खर्च आने का अनुमान है. इसमें 5.6 किलोमीटर लंबा मुख्य पुल, अन्य छोटे पुले, अंडरपास और रेल उपरगामी पुल शामिल हैं. ऐसा माना जा रहा है कि यह निर्णय भारत-चीन के बीच चल रहे विवाद और 15 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प में शहीद हुए देश के वीरों पृष्ठभूमि में लिया गया है.
गौरतलब है कि चीन के साथ सीमा पर होने वाली झड़पों के मद्देनजर चीनी उत्पादों और व्यावसायिक संस्थाओं के बहिष्कार के लिए देशव्यापी आह्वान के बीच कई चीनी परियोजनाओं और टेंडरों को रद्द किया गया है.
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उल्लेखनीय है कि 16 दिसंबर, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों पर केंद्र सरकार की कैबिनेट समिति ने इस महासेतु परियोजना को मंजूरी दी थी. अधिकारियों ने बताया कि प्रस्तावित महासेतु को गंगा नदी पर महात्मा गांधी सेतु के समानांतर बनाया जाना है जिससे पटना, सारण और वैशाली जिलों को सहूलियत होगी. बता दें इस परियोजना के लिए निर्माण की अवधि साढ़े तीन साल की थी और जनवरी 2023 तक पूरी होने वाली थी.
Source : News Nation Bureau