बीपीएससी और शिक्षा विभाग के बीच जारी विवाद को देखते हुए आज सीएम नीतीश कुमार ने शिक्षा विभाग के एसीएस आईएएस केके पाठक के साथ बैठक की. दोनों के बीच काफी देर तक बातचीत चली. बता दें कि सीएम नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी एवं शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को सीएम आवास बुलाया था और दोनों अधिकारियों के साथ बैठक की. बता दें कि बीपीएससी और शिक्षा विभाग के बीच विवाद उस समय शुरू हो गया जब शिक्षा विभाग द्वारा एक निर्देश बीपीएससी को दिया गया था.
शिक्षा विभाग ने BPSC को लिखा था पत्र
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक कुछ दिनों से सुर्खियों में बने हुए हैं. लगातार नए नए फरमान जारी कर रहे हैं. जिससे हलचल मची हुई है. वहीं, अब शिक्षा विभाग के द्वारा BPSC के सचिव को पत्र लिखा है. जिसमें ये कहा गया है कि कर्मचारियों की डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में टीचरों की ड्यूटी लगाना गलत है. ये नियम के बिल्कुल उल्टा है. इसलिए ऐसे सभी शिक्षकों को जल्द ही उनके काम से मुक्त किया जाये. आपको बता दें कि इससे पहले के के पाठक ने कहा था कि शिक्षक शैक्षणिक कार्य के अलावा कोई कार्य नहीं करेंगे.
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दरअसल, शिक्षा विभाग के माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद ने बीएससी के सचिव को पत्र लिखा है. जारी किये गए पत्र में कहा गया है कि सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए समीक्षा की गई थी. जिसमें ये बात सामने आई है कि सभी जिलों में शिविर का आयोजन किया गया है और सभी आवेदकों का डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन किया जा रहा है. जिसके लिए शिक्षा विभाग के अधिकारी, कर्मी और जिलों के शिक्षक को भी इस काम के लिए लगाया गया है. जिसको लेकर शिक्षा विभाग का कहना है कि हम ये स्वीकार नहीं करेंगे. ये गलत हो रहा है और ये बिल्कुल भी शिक्षा हित में नहीं है.
उन्होंने पत्र में कहा है कि डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में लगाए गए शिक्षकों को जल्द उनके काम से मुक्त कर दिया जाये. जिसके बाद इस मामले में कार्रवाई भी की जाये. आपको बात दें कि राज्य में शिक्षकों के 1.70 लाख पदों पर बहाली के लिए डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन का काम चल रहा है. जिसके लिए राज्य में कई शिक्षकों को ड्यूटी पर लगा दिया गया है.
बीपीएससी ने दिया करारा जवाब
BPSC के अध्यक्ष अतुल प्रसाद ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि "सरकार अपने अधिकारियों की नियुक्ति करती है और बाद में बदलाव करती है. इससे हमें कोई सरोकार नहीं है, लेकिन इस बहाने जिन तत्वों ने हमारे टीआरई-डीवी को रद्द कराने की कोशिश की, उन्हें और अधिक प्रयास करना चाहिए." उनके इस ट्वीट से ये साफ नजर आ रहा है कि उन्होंने के के पाठक को लेकर ये बात कहीं है. वहीं, ये भी साफ है कि शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया अब रुकने वाली नहीं है.
एक तरफ जहां के के पाठक का कहना है कि शिक्षकों से पढ़ाने के अलवा और कोई काम ना करवाया जाए तो वहीं बीपीएसी ने भी के के पाठक को फटकार लगाई है. ऐसे में अब ये मामला संविधान तक पहुंच गया है. बिहार लोक सेवा आयोग के सचिव ने सीधे तौर पर शिक्षा विभाग को ये हिदायत दी है कि भविष्य में ऐसा कोई भी पत्र नहीं लिखा जाए.
BPSC सचिव ने दी ये हिदायत
उनके इस हिदायत के बाद मामला और भी बढ़ता नजर आ रहा है. बता दें कि शिक्षा विभाग के तरफ से बिहार लोक सेवा आयोग को पत्र लिखा गया था. जिसके बाद अब BPSC ने भी पलटवार किया है. बिहार लोक सेवा आयोग के सचिव ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को ये सख्त हिदायत दी है कि ऐसा कोई भी पत्र आगे से BPSC के पास नहीं आना चाहिए. सचिव रवि भूषण ने कहा है कि शिक्षक अभ्यर्थियों का डॉक्यूमेंट वेरिफिक्शन आयोग की आंतरिक प्रक्रिया है. इसमें शिक्षा विभाग या फिर राज्य सरकार दखल नहीं दे सकता है. अगर आपको मालूम ना हो तो जाकर पहले संविधान के प्रावधानों को पढ़ ले.
HIGHLIGHTS
- CM नीतीश कुमार ने की बैठक
- शिक्षा सचवि और ACS IAS KK Pathak के साथ की बैठक
- BPSC और शिक्षा विभाग के बीच जारी विवाद के मद्देनजर बैठक
Source : News State Bihar Jharkhand