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बांका: समाज का मिथक तोड़ बेटियों ने दिया मां की अर्थी को कंधा

एक बुजुर्ग महिला की बेटियों ने आज अपनी मां की अर्थी को कंधा देकर एक बार फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं क्या बेटियां, बेटों से कम होती हैं?

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Shailendra Shukla
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बेटियों ने अपनी मां की अर्थी को दिया कंधा( Photo Credit : न्यूज स्टेट बिहार झारखंड)

बांका जिले में आज एक ऐसी तस्वीर देखने को मिली है, जिसने बेटे और बेटीयों के फर्क को पूरी तरह से खत्म कर दिया है. अक्सर लोग बेटा-बेटा की रट लगाए रहते हैं लोगों की उम्मीद बेटों से खासकर तब और ज्यादा रहती है कि जब उनका देहांत होगा तो बेटा उनकी चिता को आग देगा, उनकी अर्थी को कंधा देगा लेकिन एक बुजुर्ग महिला की बेटियों ने आज अपनी मां की अर्थी को कंधा देकर एक बार फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या बेटियां, बेटों से कम होती हैं? दरअसल, कटोरिया प्रखंड क्षेत्र के देवासी पंचायत अंतर्गत खिजुरिया गांव की निवासी एक बुजुर्ग महिला की मौत हो जाती है और उसकी अर्थी को उसकी बेटियों द्वारा कंधा देकर बेटों का फर्ज निभाया जाता है. जिस समय बेटियों ने अपनी मां की अर्थी को कंधा दिया उस समय लोग बेटियों को टकटकी लगाए सिर्फ देख ही रहे थे. 

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बता दें कि मृतक लंबे समय से बीमार चल रही थी. उनके शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा काफी कम थी. 80 वर्ष महिला धर्म शिला देवी पति गुना राय वर्ष 2000 में पंचायती चुनाव में पहली बार देवासी पंचायत के वार्ड सदस्य चुनी गई थी. उनके पास बेटा नहीं था लेकिन 7 बेटियां थीं. उन्होंने अपने सभी पुत्रियों की शादी कर चुकी हैं. हालांकि, ऐसा नहीं था कि उनकी अर्थी को कंधा देनेवाला कोई पुरुष नहीं था, पुरुषों द्वारा भी अर्थी को कंधा दिया गया लेकिन बेटियों ने भी अपनी मां को अंतिम विदाई दी और उनकी अर्थी को कंधा दिया. महिला के पति गुना राय ने उनके पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी और वो पंचतत्व में विलीन हो गई.

कुल मिलाकर बेटियों ने अपनी मां की अर्थी को कंधा देकर समाज के उस मिथक को एक बार फिर से तोड़ने का काम किया है जिसमें समाज बेटों से काफी उम्मीदें लगा बैठता है. 

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HIGHLIGHTS

  • बेटियों ने दिया मां की अर्थी को कंधा
  • देखता रह गया पूरा सामाज
  • बेटियों की हर तरफ हो रही सराहना

Source : News State Bihar Jharkhand

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