छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र में पुलिस ने नक्सलियों के आदिवासी विरोधी चेहरे को उजागर करने के लिए प्रति प्रचार युद्ध शुरू करने का फैसला किया है. राज्य के बस्तर क्षेत्र के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि नक्सलियों की विकास विरोधी और आदिवासी विरोधी चेहरे को उजागर करने के लिए बस्तर पुलिस ने प्रति प्रचार युद्ध छेड़ दिया है. अधिकारियों ने बताया कि गोंडी बोली में 'बस्तर त माटा' और हल्बी बोली में 'बस्तर चो आवाज़' के नाम से प्रारंभ हो रहे जन जागरूकता अभियान के माध्यम से शीर्ष माओवादी (नक्सली) नेताओं की विकास विरोधी और आदिवासी विरोधी मानसिकता को बेनकाब किया जाएगा.
हिंदी में इसका शाब्दिक अर्थ 'बस्तर की आवाज' है. बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद जनसहयोग से नक्सल आतंक को समाप्त करना बस्तर पुलिस की प्राथमिकता रही है. कुछ महीनों से बस्तर के स्थानीय पुलिस बल और केन्द्रीय सुरक्षाबलों द्वारा नक्सलियों के आतंक के विरूद्ध यह लड़ाई निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है.
सुंदरराज ने बताया कि नक्सलियों के खिलाफ अंदरूनी क्षेत्र में प्रभावी नक्सल विरोधी अभियान के साथ-साथ नक्सलियों की विकास विरोधी और जनविरोधी चेहरे को उजागर करना जरूरी है. इसी उद्देश्य से नक्सलियों के खिलाफ प्रति प्रचार युद्ध शुरू किया जा रहा है. पुलिस अधिकारी ने बताया कि क्षेत्र में बैनर, पोस्टर, लघु चल चित्र, ऑडियो क्लिप, नाच-गाना, गीत-संगीत और अन्य प्रचार प्रसार के माध्यम से नक्सलियों के काले कारनामों को उजागर किया जाएगा.
स्थानीय गोंडी बोली में 'बस्तर त माटा' और हल्बी बोली में 'बस्तर चो आवाज' के नाम से प्रारंभ किए जा रहे इस अभियान के माध्यम से बस्तर वासियों के विचारों को दुनिया तक पहुंचाया जाएगा. पुलिस महानिरीक्षक ने बताया कि इस अभियान के माध्यम से स्थानीय नक्सल मिलिशिया कैडर्स और नक्सल सहयोगियों को हिंसा त्याग कर समाज की मुख्यधारा में शामिल होने के लिए आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित किया जाएगा.
Source : Bhasha