अब समान नागरिक संहिता पर बहस और तैयारियां दोनों तेज हो गई हैं. समान नागरिक संहिता का मुद्दा हमेशा से सत्तारूढ़ बीजेपी के एजेंडे में रहा है. बता दें कि चुनावी राजनीति में इस मुद्दे को धर्म के आईने से देखा जा रहा है. समान नागरिक संहिता पर 22वें विधि आयोग ने लोगों और धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधियों से भी सुझाव मांगे गए हैं. अब तक साढ़े आठ लाख से ज्यादा सुझाव मिल चुके हैं, इस बीच संसदीय समिति ने विधि आयोग और कानून मंत्रालयों के प्रतिनिधियों को भी बुलाया है, यह बैठक 3 जुलाई को होगी. इतना ही नहीं माना ये भी जा रहा है कि, सरकार संसद के मॉनसून सत्र में समान नागरिक संहिता को लेकर भी बिल ला सकती है. साथ ही सूत्रों की मानें तो इस बिल को संसदीय समिति के पास भी भेजा जा सकता है. ऐसे में जब समान नागरिक संहिता पर इतनी बहस और तैयारियां चल रही हैं, तो आपको इससे जुड़े बहुत से सवालों के जवाब भी जानने होंगे. इस कानून को लेकर सभी राजनीतिक दल अपनी राय दे रहे हैं, कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं तो कुछ लोग इस कानून का समर्थन भी कर रहे हैं.
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समान नागरिक संहिता के कुछ अहम सवाल
1. समान नागरिक संहिता क्या है?
- सीधे शब्दों में कहें तो एक देश-एक कानून, अभी सभी धर्मों में शादी, तलाक, गोद लेने के नियम, उत्तराधिकार, संपत्ति से जुड़े मामलों के लिए अलग-अलग कानून हैं, लेकिन अगर समान नागरिक संहिता आती है तो सभी के लिए एक ही कानून होगा, चाहे वे किसी भी धर्म या जाति के हों.
2. इस कानून पर सरकार का क्या है रुख?
- बीजेपी सरकार शुरू से ही समान नागरिक संहिता की वकालत करती रही है. बीजेपी का मानना है कि जब तक समान नागरिक संहिता नहीं अपनाई जाती तब तक लैंगिक समानता नहीं आ सकती.
- प्रधानमंत्री मोदी ने भोपाल में बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि, ''आजकल समान नागरिक संहिता के नाम पर यह भड़काया जा रहा है कि परिवार के एक सदस्य के लिए एक नियम और दूसरे के लिए दूसरा नियम होना चाहिए, क्या ऐसा होगा' घर चलने में सक्षम? तो ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा?''
- समान नागरिक संहिता को लेकर कानून बनाने की जिम्मेदारी 22वें विधि आयोग की है, इस पर सुझाव मांगे जा रहे हैं. इतना ही नहीं खबरें ये भी हैं कि सरकार संसद के मानसून सत्र में इससे जुड़ा बिल ला सकती है.
3. UCC से क्या बदलेगा?
- हिंदुओं, सिखों, जैनियों और बौद्धों के व्यक्तिगत मामले हिंदू विवाह अधिनियम द्वारा शासित होते हैं, मुसलमानों, ईसाइयों और पारसियों के पास अलग-अलग व्यक्तिगत कानून हैं. ऐसे में अगर समान नागरिक संहिता लागू होती है तो सभी धर्मों के मौजूदा कानून रद्द हो जाएंगे, फिर शादी, तलाक, गोद लेने, उत्तराधिकार और संपत्ति से जुड़े मामलों पर सभी धर्मों में एक ही कानून होगा.
4. UCC का देश में क्या होगा असर?
- शादीः हिंदू-सिख-ईसाई-बौद्ध-पारसी और जैन धर्म में एक शादी की ही इजाजत है. दूसरी शादी तभी की जा सकती है जब पहली पत्नी या पति का तलाक हो चुका हो, लेकिन मुसलमानों में पुरुषों को चार शादी करने की इजाजत है. UCC आने पर बहुविवाह पर रोक लग जाएगी.
- तलाकः हिंदू समेत कई धर्मों में तलाक को लेकर अलग-अलग नियम हैं, तलाक के आधार भी अलग-अलग हैं. तलाक लेने के लिए हिंदुओं को 6 महीने और ईसाइयों को दो साल तक अलग रहना पड़ता है, लेकिन मुसलमानों में तलाक का अलग नियम है, यूसीसी आने पर ये सब खत्म हो जाएगा.
- गोद लेने का अधिकारः कुछ धर्मों के व्यक्तिगत कानून महिलाओं को बच्चा गोद लेने से रोकते हैं, उदाहरण के लिए, मुस्लिम महिलाएं बच्चा गोद नहीं ले सकती हैं लेकिन हिंदू महिलाएं बच्चा गोद ले सकती हैं. यूसीसी के आने से सभी महिलाओं को बच्चा गोद लेने का अधिकार मिल जाएगा.
HIGHLIGHTS
- UCC कैसे सभी धर्मों के लिए एक कानून का विकल्प देगा
- क्यों हो रहा इस कानून का विरोध
- राजनीतिक दल दे रहे हैं अपनी-अपनी राय
Source : News State Bihar Jharkhand