अरवल की शिक्षा परियोजना कार्यालय में लगी आग अब सवालों के घेरे में है. इस अगलगी की घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग की जा रही है. मुख्यमंत्री के यात्रा के दिन शिक्षकों ने शिक्षा विभाग के भ्रष्टाचार में लिप्त होने की शिकायत का आवेदन सीएम नीतीश को दिया था. मार्च में इसका ऑडिट होने वाला था. मुख्यमंत्री की यात्रा के अगले दिन ही शिक्षा विभाग के कार्यालय में आग लग गई, जो अपने आप में एक सवाल खड़ा करती है.
AC लगाया, लेकिन अग्निशमन यंत्र नहीं इस घटना में कई अहम फाइलें खाक हो गई. शिक्षा पदाधिकारी के चैंबर को हाईटेक बनाने के नाम पर दो बार लाखों रुपये की निकासी की गई. ठंड के मौसम में AC लगाया गया, लेकिन अग्निशमन यंत्र नहीं लगाई गई. अगर अग्निशमन यंत्र होता तो समय से पहले आग पर काबू पाया जा सकता था. इतनी बड़ी आग लगने की घटना, जिसमें कई अहम फाइलें जलकर राख हो गईं.
इसके जांच के लिए किसी टीम का गठन नहीं किया जाना कई सवाल खड़े करता है. इसके साथ ही सीसीटीवी का दोबारा इंस्टॉलेशन न कराना भी कई गड़बड़झाले की ओर इशारा करता है.
कई मामलों की फाइलें हुई खाक आपको बता दें कि अलमीरा के अंदर बंद कस्तूरबा गांधी विद्यालय में पूर्ण कालिका शिक्षिका और वार्डन की बहाली का मामला हाईकोर्ट में चल रहा है, जिसके आवेदन पत्र संबंधित फाइलें भी जलकर राख हो गई हैं. कार्यालय में रखें मध्यान भोजन की उपयोगिता के कागजात भी जलकर राख हो गए. वहीं, आईईडी विभाग से संबंधित दिव्यांग बच्चों का फाइलें भी जलकर राख हो गई. फर्जी शिक्षक बहाली और भवन निर्माण के साथ-साथ मध्यान भोजन और सर्व शिक्षा से जुड़े कई महत्वपूर्ण फाइलें जलकर खाक हो गई जिसमें गबन के आरोप थे. करपी प्रखंड के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को फर्जी शिक्षकों के द्वारा हत्या कर दी गई थी, जिसकी फाइलें भी जलकर खाक हो गई.