बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. ये सुनवाई आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया की याचिका पर हुई. आपको बता दें कि उमा कृष्णैया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर राजनेता आनंद मोहन की जेल से समयपूर्व रिहाई को चुनौती दी थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार और आनंद मोहन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इसके लिए 2 हफ्ते का समय दिया गया है. बिहार सरकार से रिहाई से जुड़ा रिकॉर्ड देने को भी कहा गया है.
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जस्टिस सूर्यकांत और जेके माहेश्वरी की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की. याचिका में उमा कृष्णैया ने आनंद मोहन को फिर से जेल भेजने की मांग की थी. याचिका में कहा गया कि बिहार जेल नियमावली 2012 में संशोधन दिनांक 10 अप्रैल 2023 के तहत पूर्वव्यापी प्रभाव से विशेष रूप से लाया गया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दोषी आनंद मोहन को छूट का लाभ दिया जाए.
याचिका में क्या कहा गया ?
उमा कृष्णैया की याचिका में कहा गया था कि उनके पति के हत्यारे को जेल से रिहाह करने के बिहार सरकार के फैसले को रद्द कर दिया जाए. दायर की गई याचिका में कहा गया था कि जब भी किसी को आजीवन कारावास की सजा होती है तो उसका मतलब ये होता है कि अब वो पूरी जिंदगी जेल में ही रहेगा ना की 14 साल की सजा काटकर बाहर आ जाएगा. इसके साथ ही ये कहा गया कि अगर किसी को फांसी की सजा होती है और उसकी जगह उसे आजीवन कारावास की सजा दे दी जाती है तो उसे दूसरी तरह से देखना चाहिए. सामान्य आजीवन कारावास से इसकी तुलना नहीं करनी चाहिए. डीएम की पत्नी ने बिहार सरकार के नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग की है. इसके साथ ही रिहाई के नियमों में हुए बदलाव के आदेश को भी रद्द करने की मांग की है.
आनंद मोहन पर 'सुप्रीम' सुनवाई
- 27 अप्रैल को रिहा किए गए थे पूर्व सांसद आनंद मोहन
- रिहाई के लिए बिहार सरकार ने नियमों में किया बदलाव
- बिहार सरकार ने जेल मैनुअल में किया था बदलाव
- कारागार अधिनियम 2012 को सरकार ने किया संशोधित
- 29 अप्रैल को जी कृष्णैया की पत्नी ने SC में दायर की याचिका
- रिहाई के खिलाफ उमा देवी ने SC में दायर की थी याचिका
- उमा देवी ने आनंद मोहन को फिर से जेल भेजने की मांग की
- मामले में हाईकोर्ट में दायर की गई एक और याचिका
- सरकार के जारी अधिपत्र को निरस्त करने की अपील
डीएम हत्याकांड में कब क्या हुआ?
- 4 दिसंबर 1994- गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हुई हत्या
- 3 अक्टूबर 2007- आनंद मोहन समेत 3 को फांसी, 29 बरी, कई को उम्रकैद
- 10 दिसंबर 2008- HC ने आनंद मोहन फांसी के फैसले को उम्रकैद में बदला
- 10 जुलाई 2012- फैसले के खिलाफ SC में अपील, SC ने फैसले को सही ठहराया
- 10 अप्रैल 2023- जेल मैनुअल से काम के दौरान सरकारी सेवक की हत्या का नियम हटा
- 27 अप्रैल 2023- सुबह 6:30 बजे सहरसा जेल से रिहा किए गए पूर्व सांसद आनंद मोहन
मामले पर राजनीति
मामले जदयू प्रवक्ता मनजीत सिंह ने कहा है कि कानूनी प्रक्रिया के तहत जवाब मांगा गया है. कोर्ट में बिहार सरकार अपना जवाब देगा, लेकिन बीजेपी लगातार इस पर राजनीति करती आ रही है. चाहे वह जाति आधारित गणना हो या आनंद मोहन की रिहाई हो, इन मुद्दों पर बीजेपी पीछे से राजनीति कर रही है.
HIGHLIGHTS
- पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई का मामला
- SC ने रिहाई पर बिहार सरकार को भेजा नोटिस
- सुप्रीम कोर्ट ने आनंद मोहन को भी भेजा नोटिस
Source : News State Bihar Jharkhand